जयपुर। राजस्थान विधान सभा में 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का शुभारंभ उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने दीप प्रज्जवलन कर किया। सम्मेलन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा उपसभापति हरिवंश और राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी भी समारोह में मंच पर मौजूद रहे।
पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों में देश ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत किया है। दूसरे देशों से भारत के लोकतंत्र की तुलना की जाए तो भारत का लोकतंत्र अन्य देशों को दिशा प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों की तुलना में भारत ने संसदीय प्रणाली को दिशा प्रदान करने वाली प्रणाली को मजबूत किया है। गहलोत ने संसदीय लोकतंत्र को देश का सौभाग्य बताते हुए कहा कि सरकार और विपक्ष दोनों विधायिका के अभिन्न अंग हैं और दोनों पक्षों के बीच आपसी सामंजस्य से एक मजबूत परंपरा स्थापित होती है, जिससे विधायी कार्यों का प्रभावी निर्वहन होता है।
गहलोत ने उचित संसदीय आचरण और विधायी संस्थाओं के नियमों के पालन पर जोर देते हुए कहा कि सदन की मर्यादा और गरिमा बनाए रखना सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने न्यायपालिका और विधायिका के संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों अंगों का एक साथ काम करना जरूरी है। गहलोत ने कहा कि हम सब की जिम्मेदारी है कि देश में लोकतंत्र बचा रहे। इसके लिए सभी को काम करना चाहिए। ये लोकतंत्र की ही ताकत है कि आज हम अपने विचार रख पा रहे हैं।