राजस्थान चौक में आज हम आपके लिए लाये है ऐसी स्टोरी जो सभी को प्रेरणा देते है की हमे कभी हार नही माननी चाहिए. हो सकता है, इस खबर की शुरुआत आपको अटपटी लगी लगे लेकिन इस खबर का मकसद समझाने के लिए ऐसी शुरुआत जरूरी थी|
ये खबर IAS-IPS बनने वाले होनहार स्टूडेंट्स के बारे में है, लेकिन ये उनकी सक्सेस स्टोरी के बारे में नहीं। उस फेलियर के बारे में है, जिसे पछाड़कर इन स्टूडेंट्स ने UPSC एग्जाम क्रैक किया है.आपको बताये की ये कहानी उन स्टूडेंट्स की है, जिन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि एक कागज का टुकडा (मार्कशीट) किसी की काबिलियत नहीं बता सकता। किसी ने 12वीं बोर्ड में बड़ी मुश्किल से 60 प्रतिशत अंक हासिल किए। किसी को 10वीं में महज 64% अंक लाने पर टीचर्स से डांट पड़ी। कोई 10वीं में फेल हो गया। दो स्टूडेंट तो ऐसे भी हैं, जो क्लास में सबसे आखिरी बेंच पर बैठते थे। दसवीं-बारहवीं टॉपर्स की लिस्ट में सबसे आखिर में उनका नंबर था.ये पांचों स्टूडेंट्स आज UPSC एग्जाम क्लियर कर IAS-IPS बन गए हैं। यह सबके लिए एक मिसाल बंकर साबित हुए है. भले ही इनके 10वीं-12वीं में कम नंबर थे, लेकिन निराश होने की बजाय इन्होंने 5 लाख 73 हजार 735 कैंडिडेट्स को पछाड़ अपने सपनों को पूरा किया।
देशभर में हर तरफ टॉपर्स की सक्सेस स्टोरीज की बात होती रहती है पर हम लेकर आये है की कैसे ये फ़ैल होके पास हुए, और इस failure ko पछाड़कर इन स्टूडेंट्स ने UPSC एग्जाम क्रैक किया। जी हा ये कहानी उन स्टूडेंट्स की है, जिन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि- एक कागज का टुकड़ा (मार्कशीट) किसी की काबिलियत नहीं बता सकता.देशभर में हर तरफ टॉपर्स की सक्सेस स्टोरीज की बात हो रही है। हम आपको वो सक्सेस स्टोरी बता रहे हैं, जिनकी नींव फेलियर ने रखी। हमारी एक रिसर्च के दोरान हमने कुछ स्टोरीज निकाली चलिए उनके बारे मे बात करते है
मनोज महरिया
नंबर कम आए तो 3 साल छोड़ी पढ़ाई, फिर किया कमबैक UPSC रिजल्ट 2022 में सीकर के कूदन ग्राम निवासी मनोज महरिया के 628वीं रैंक आई है। मनोज के पिताजी राजेंद्र महरिया का स्वर्गवास हो चुका है। मनोज के भाई संजीव ने बताया कि मां ने ही हमारा पालन-पोषण किया था।मनोज क्रिकेटर बनना चाहता था, वो सीकर की जिला क्रिकेट टीम का कप्तान भी रह चुका है, लेकिन रणजी में सिलेक्ट नहीं हो पाया। इसके बाद घर पर रहकर ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी। अब उसे सफलता मिली है।मनोज ने बताया कि वो स्कूल में हमेशा एवरेज स्टूडेंट ही रहा। बमुश्किल 60-65 प्रतिशत नंबर ही मिल पाते थे। इसके चलते ही बारहवीं बोर्ड एग्जाम के लिए आर्ट्स सब्जेक्ट चुना था। बारहवीं बोर्ड में उसके महज 62.80 परसेंट मार्क्स ही आए थे।ये भी तब था जब ड्राइंग जैसे सब्जेक्ट में उसे 100 में से 84 नंबर मिल गए थे। ड्राइंग सब्जेक्ट न होता तो शायद नंबर और भी खराब होते। कारण एक ही था कि मैं पढ़ाई को लेकर कभी सीरियस नहीं था। उन्होंने बताया की क्रिकेट के जुनून ने रखा पढ़ाई से दूर क्रिकेट को लेकर जूनून सवार था। हर समय खेलता रहता था। ऐसे में पढ़ाई को वक्त नहीं दे पाता था। बारहवीं में कम नंबर होने के बाद मैंने 3 साल तक पढ़ाई ही नहीं की । हर साल कॉलेज के लिए प्राइवेट फॉर्म भरता, पर प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने के कारण एग्जाम नहीं दे पाता। साल 2019 में एहसास हुआ कि क्रिकेट की डगर कठिन है, ऐसे में दूसरा ऑप्शन देखना शुरू कर दिया। पढ़ाई शुरू की और अलग-अलग कॉम्पिटिशन एग्जाम दिए ।DRDO, SSC और एक क्लर्क लेवल सहित तीन नौकरियों में सलेक्शन भी हुआ। इसके बाद UPSC की तैयारी शुरू की और पहली बार में मेंस में 15 नंबर से रह गया। इसके बाद अब सेकेंड अटेम्प्ट में UPSC क्लियर हो गई है। मनोज बताते हैं कि इसके बावजूद कभी भी मैंने इन नंबर्स को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। मेहनत करता रहा और अब परिणाम भी आ गया है।
राकेश परिहारिया
बोर्ड के नंबरों ने किया निराश, ठान लिया IT IAS बनूंगा पाली जिले के छोटे से गांव बूसी में रहने वाले 26 साल के राकेश परिहारिया (घांची) ने UPSC में 773वीं रैंक हासिल की है।राकेश कुमार पुत्र अमराराम परिहारिया की 10वीं तक पढ़ाई अपने गांव बूसी में हुई। उसके आगे की पढ़ाई उन्होंने कोटा में रहकर पूरी की। साइंस-मैथ्स के स्टूडेंट रहे थे।लेकिन बारहवीं बोर्ड एग्जाम में उनके महज 77 प्रतिशत नंबर आए। वहीं उनकी क्लास के कई स्टूडेंट्स ने 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल किए थे। राकेश निराश तो हुए मगर इसके बाद साल 2013 में आईआईटी का एग्जाम दिया और इसे क्लियर कर लिया। उन्होंने बताया कि खड़गपुर से आईआईटी पूरी करने के बाद उनके पास दो ऑप्शन थे, एक तो वो कोई बड़ा पॅकेज लेकर किसी प्राइवेट कंपनी को जॉइन कर ले और दूसरा ये कि UPSC क्लियर कर देश सेवा का काम करे।ऐसे में उन्होंने देश सेवा को ही चुना और साल 2018 के बाद वो UPSC की तैयारी के लिए बेंगलुरु चले गए। वहां कमरा किराए लेकर रहे। पिछले तीन सालों से वहीं UPSC की तैयारी कर रहे थे। आखिरकार इस बार चौथे अटेम्प्ट में वो success हासिल करने मे सफल हुए|
जगदीश बांगड़वा
दसवीं में फेल, 23 की उम्र में IPS बने बाड़मेर के जगदीश 2018 में 23 साल की उम्र में IPS बन गए। फिलहाल गुजरात के दाहोद ASP के पद पर पोस्टेड हैं। उनकी गिनती तेज तर्रार पुलिस अफसरों में होती है।इतने काबिल ऑफिसर भी 10वीं में फेल हो गए थे। बाड़मेर जिले के बायतु कस्बे के रहने वाले जगदीश बांगड़वा ने दूसरे प्रयास में दसवीं का एग्जाम क्लियर किया। 12वीं में गणित में महज 38 अंक मिले थे, लेकिन कड़ी लगन और मेहनत के साथ पढ़ाई जारी रखी। 2018 में भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा दी और उन्हें 486वीं रैंक हासिल की|
स्कूल में नंबर कम होने के बावजूद IPS बने आकाश कुल्हरि
कम नंबर आए तो स्कूल ने निकाल दिया था. बीकानेर के रहने वाले IPS आकाश कुलहरि UP पुलिस के फायर डिपार्टमेंट के DIG हैं। आकाश बीकानेर के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते थे। साल 1996 में उन्होंने 10वीं का एग्जाम दिया, 57% नंबर आए। कम नंबर आने के बाद स्कूल ने निकाल दिया।आकाश ने हार नहीं मानी और इसके बाद कड़ी मेहनत की और 12वीं के बोर्ड एग्जाम में 85 प्रतिशत नंबर हासिल किए। इसके बाद 2001 में दुग्गल कॉलेज बीकानेर से BCom और दिल्ली की JNU यूनिवर्सिटी से MCom किया। 2005 में MPhil और साल 2006 में पहले प्रयास में ही आकाश ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर ली|
RAS दलपत सिंह
12वीं में 2 बार फेल हुएRAS दलपत सिंह मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में वित्त नियंत्रक अधिकारी के पद पर पोस्टेड हैं। दलपत सिंह अलग-अलग एग्जाम में 19 बार फेल हुए। जब भी एग्जाम देते पड़ोसी, दोस्त- रिश्तेदार मजाक उड़ाते । उन्होंने 1991 में 10वीं महज एवरेज नंबर से पास की।12वीं में 1993 से 1994 तक दो बार फेल हुए। 1995 में ग्रेस मार्क्स से पास हुए। फिर फर्स्ट ईयर में 1996 से 99 तक चार बार फेल हुए और वर्ष 2000 में BA पूरी किया।इस दौरान PMT, BSTC, PET, कृषि विभाग, STE और नर्सिंग की कई परीक्षाएं दीं, लेकिन असफल हुए। साल 2003 में उनके बचपन के दोस्त अविनाश चंपावत को IAS में ऑल इंडिया में दूसरी रैंक मिली। तब तय किया कि वो भी IAS का एग्जाम देंगे, लेकिन दूसरे ही अटेम्प्ट में ओवरएज हो गए। इसके बाद भी हार नहीं मानी।RAS परीक्षा का विकल्प खुला था। उसी में जुट गए और तीसरे चांस में RAS परीक्षा – 2008 में 55वीं रैंक लाने में कामयाब हुए। इसका रिजल्ट 2011 में आया और उन्हें लेखा सेवा का कैडर मिला।
इस तरह ही कुछ और लोग भी है जो कै बार अपने जीवन मे फ़ैल हुए पर हार नही मानी और हम सबके लिए प्रेरणा दायक बने|
राजस्थान चौक के लिए आकृति पंवार की रिपोर्ट।