सरकार की पहल, अब किसान फसलों में ड्रोन से छिड़क सकेंगे रसायन

जयपुर। कृषि विभाग की ओर से बुधवार को जोबनेर के जोशीवास गांव में राज्य स्तरीय ड्रोन तकनीकी का सजीव प्रदर्शन कृषि मंत्री लालचंद कटारिया की अध्यक्षता में किया गया। इस दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से 2 वर्षों में 1500 ड्रोन कस्टम हायरिंग केंद्रों पर उपलब्ध कराए जायेंगे। जिसमे ड्रोन पर लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम 4 लाख रुपये के साथ ही किसानों के खेतों पर प्रदर्शन हेतु अधिकतम 6 हजार रुपये प्रति हैक्टर का अनुदान दिया जाएगा।

प्रदेश के ऐसे कृषक जो सीमित आय के कारण उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरणों को क्रय करने में सक्षम नहीं हैं उन्हें ड्रोन किराए पर उपलब्ध कराए जायेंगे। जिससे किसान कम लागत एवं कम समय में व्यापक कृषि क्षेत्र में रसायनों का छिड़काव कर सकेंगे।

33 जिलों में एक साथ किया गया ड्रोन द्वारा रसायनों का छिड़काव

कृषि कार्यों में ड्रोन तकनीकी से फसलों में रसायनों के छिड़काव का सजीव प्रदर्शन की शुरुआत प्रदेश भर में की गई। जिसमे किसानों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक जिले में कुल 20 हैक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन प्रदर्शन कर रसायनों का छिड़काव किया गया। प्रथम चरण में नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। जिससे यूरिया की कमी को पूरा किया जा सकेगा।

कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कृषि तकनीकी के समावेश के संबंध में कृषि क्षेत्र में लगातार नवाचार किए हैं, जिन्हें भारत सरकार द्वारा भी सराहा गया है। सरकार की ओर से वर्ष 2022-23 में “समृद्ध किसान-खुशहाल राजस्थान ” की सोच के साथ प्रदेश का पहला कृषि बजट प्रस्तुत किया। जिसमें कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 11 मिशनों की घोषणा की गई। साथ ही राजकिसान साथी पोर्टल विकसित किया गया है जिसमें कृषि और संबंधित विभाग की 23 जन-कल्याणकारी योजनाओं के आवेदन से लेकर भुगतान तक की संपूर्ण प्रक्रिया पूर्णत: ऑनलाइन की गयी है। उन्होंने कहा कि पाले से फसलों में नुकसान की गिरदावरी के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी दिनेश कुमार ने कहा कि दुनिया भर में कृषि कार्यों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है। राज्य में भी सरकार कृषि क्षेत्र में तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दे रही है ताकि बेहतर उपज के साथ किसानों की आय में वृद्धि हो सके। प्रदेश के प्रगतिशील किसान खेती-किसानी में ड्रोन के कार्य का उपयोग करने लगे हैं, आने वाले समय में कृषि में ड्रोन की मांग एवं उपयोगिता में काफी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

कृषि आयुक्त कानाराम ने बताया कि पारंपरिक तरीके से छिड़काव के मुकाबले ड्रोन से छिड़काव में 70-80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी का निर्धारण एवं उनकी पूर्ति ड्रोन के माध्यम से आसानी से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ड्रोन रसायन छिड़काव के साथ सिंचाई निगरानी, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, मर्दा विश्लेषण, फसल नुकसान का आकलन और टिड्डी नियंत्रण जैसे कार्यों को बेहतर ढंग से करने में उपयोगी हैं।

इस अवसर पर कुलपति कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर डॉ. बलराज, इफको राज्य विपणन प्रबंधक सुधीर मान, पंचायत समिति जोबनेर प्रधान शैतान मेहरड़ा, पंचायत समिति झोटवाड़ा प्रधान रामनारायण झाझड़ा, कृषि विभाग के विभागीय अधिकारी और ग्रामीण उपस्थित थे।

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