पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में बोले राज्यपाल मिश्र, सत्रावसान किए बिना सीधे सत्र बुलाने की परंपरा लोकतंत्र के लिए घातक

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने संसद और विधानसभाओं को लोकतंत्र का मंदिर बताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि यहां राजनीति से ऊपर उठकर जनहित के मुद्दों पर संवेदनशील होकर विचार करें। उन्होंने कहा कि यहां जो भी बहसें या बिजनेस हो, वह आमजन के सतत विकास के लिए हो। राज्यपाल मिश्र गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में पीठासीन अधिकारियों की महती भूमिका होती है और वह विधानमण्डल सदस्यों की शक्तियों और विशेषाधिकारों का एक तरह से अभिभावक भी होता है। लोकतंत्र को सशक्त करने के लिए पीठासीन अधिकारी अपनी प्रभावी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि सदन का अध्यक्ष सदन के कामकाज से संबंधित नियमों का अंतिम व्याख्याकार होता है।

राज्यपाल ने विधानसभा में बैठकों की संख्या कम होने पर चिंता जताते हुए कहा कि सदस्य जनता से जुड़े मुद्दों पर पूरी तैयारी के साथ सदन में प्रभावी चर्चा करें । उन्होंने कहा कि विधायक सदन में महत्वपूर्ण विषयों पर होने वाली बहसों के दौरान अधिकाधिक उपस्थित रहें। प्राइवेट मेम्बर बिल को भी अधिकाधिक बढ़ावा दिए जाने पर बल दिया। सदनों में संसदीय कार्यवाही से संबंधित प्रमुख निर्णयों से जुड़ी शोध सामग्री प्रदान करने की त्वरित व्यवस्था विकसित होनी चाहिए।

मिश्र ने कहा कि राज्यपाल कोई व्यक्ति नहीं है, वह संवैधानिक संस्था है और उसे जब संवैधानिक आधार पर यह संतुष्टि हो जाती है कि अध्यादेश औचित्यपूर्ण है तभी वह उसे स्वीकृति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की अनुशंसा पर विधानसभा का सत्र आहूत करने की शक्ति राज्यपाल में निहित होती है। सत्रावसान नहीं कर सीधे सत्र बुलाने की जो परिपाटी बन रही है, वह लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए घातक है। इससे विधायकों को निर्धारित संख्या में प्रश्न के अतिरिक्त अवसर प्राप्त नहीं होते हैं और संवैधानिक प्रक्रियाएं पूरी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि विधानसभाओं का विधिवत सत्रावसान हो और नया सत्र आहूत हो, इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि जी-20 में भारत की अध्यक्षता हम सभी का सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि सभी विधायी संस्थाओं को अपने यहां बेहतर कानून बनाने का कार्य करना चाहिए। विधायी संस्थाओं में नियमों, प्रक्रियाओं की समीक्षा की जाए। उन्होंने लोकसभा द्वारा स्वस्थ संसदीय परम्पराओं के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रयास किया जाएगा कि देशभर में विधायी संस्थाओं में आचरण, नियम-प्रक्रियाओ, पंरपराओं में एकरूपता हो। उन्होंने संसदीय समितियों में दल से ऊपर उठकर लोकतंत्र को सशक्त करने के लिए प्रयास किए जाने का आह्वान किया।

बिड़ला ने कहा कि विधान सभाएं अपने-अपने राज्यों में आम जन की सतत भगीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि कैसे लोकतांत्रिक संस्थाएं आदर्श बनें, कैसे दुनियाभर की विधायी संस्थाएं हमारे लोकतंत्र से प्रेरणा ले-इसके लिए भी सभी मिलकर कार्य करें। राज्यसभा के उप सभापति डॉ. हरवंश ने विधायी संस्थाओं की साख बढ़ाने के लिए कार्य करने पर जोर देते हुए महात्मा गांधी के आत्मानुशासन को विशेष रूप से याद किया। उन्होंने कहा विधायी संस्थाओं द्वारा कानून बनाना ही निदान नहीं है। प्रगति और विकास सतत साधना है, इसलिए सदन में गंभीर चर्चा और बहस का माहौल बने। उन्होंने विधायकों को पर्याप्त होम वर्क कर आने, प्रश्नों को तर्क सहित प्रस्तुत करने और मर्यादा के आचरण के साथ आत्मानुशासन अपनाने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में नागरिकों के स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की गई है। उन्होंने कहा कि पूरे देश की जनता के लिए स्वास्थ्य का अधिकार लागू कर इस तरह की योजना लाई जानी चाहिए। उन्होंने हर व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से देशभर में सामाजिक सुरक्षा कानून लाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राज्य सरकार ने सोच-विचार कर मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर नई पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू की है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखते हुए देश में एवं अन्य राज्यों में भी पुरानी पेंशन योजना लागू की जानी चाहि। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि राजस्थान का संसदीय परम्पराओं का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने अपने सम्बोधन में विधायिका के प्रभावी संचालन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होँने सम्मेलन में देशभर से आए पीठासीन अधिकारियों का आभार भी व्यक्त किया। प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारिया ने अपने सम्बोधन में विधायी समितियों के कार्य को और बेहतर बनाए जाने पर बल दिया। इस दौरान विभिन्न विधानसभाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, विधायकगण और अधिकारीगण मौजूद रहे।

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
Dr Sharad Purohithttps://x.com/DrSharadPurohit
शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
--advt--spot_img