विश्व तंबाकू निषेध दिवस आज, जानिएं क्या है इसके पीछे का मकसद

हर साल 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाया जाता है. इस खास दिन पर तंबाकू के खतरे के बारे में दुनियाभर में जागरूकता फैलाई जाती है। इस दिन का उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना है। तंबाकू का उपयोग किस तरह से शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, इसके बारे में तमाम जानकारियां इस खास दिन पर दी जाती हैं। 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक प्रस्ताव के तहत विश्व तंबाकू निषेध दिवस (वर्ल्ड नो टोबैको डे) मनाने का निर्णय लिया गया था. निर्णय के तहत ही हर साल 31 मई को अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है।

थीम “हमें भोजन की आवश्यकता है, तंबाकू की नहीं”

इस वर्ष तंबाकू निषेध दिवस का थीम “हमें भोजन की आवश्यकता है, तंबाकू की नहीं” है। क्या आप जानते हैं कि धूम्रपान मनुष्य के लिए कितना हानिकारक है? 450 ग्राम तम्बाकू में निकोटीन नामक जहर की मात्रा लगभग 22 ग्राम से ज्यादा होती है. इसकी 6 ग्राम मात्रा से एक कुत्ता 3 मिनट में मर जाता है। फोर्टीस अस्पताल के डॉ अंकित बंसल ने बताया की दुनिया भर में तंबाकू के कारण हर साल 70 लाख से अधिक मौत हो जाती है जिनमें से 8 लाख 9 हजार गैर-धूम्रपान करने वालें लोग हैं। उन्होंने बताया की सरकार ने तंबाकू पर टैक्स भी बढ़ा दिया है लेकिन फिर भी कोई फ़र्क नही पड़ रहा हैं ।भारत सरकार ने मई 2003 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून पारित किया था। इस कानून को “सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद” अधिनियम का नाम दिया गया।

तंबाकू जीवन पर बड़ा खतरा

भारत का तंबाकू उत्पादन में दूसरा स्थान है इस पर डॉक्टर का कहना था कि यदि किसान तंबाकू की उत्पादन की बजाय स्वस्थ चीजों के उत्पादन पर ध्यान दें तो उसे रोका जा सकता है। एक ओर भारत समेत दुनियाभर के देशों में इसके ख़िलाफ़ अभियान चलाया जा रहा है, तो दूसरी ओर कंपनियां तंबाकू उत्पादों को युवाओं और महिलाओं में लोकप्रिय करने की कोशिश कर रही हैं। तंबाकू कंपनियां चबाए जाने, सूंघे जाने और हुक्कों में उपयोग किए जाने वाले उत्पादों को सिगरेट से कम नुक़सानदेह बता कर बेच रही हैं। तंबाकू विरोधी अभियानों पर दुनिया के देश जितना खर्च करते हैं, उससे पांच गुना ज्यादा वे तंबाकू पर टैक्स लगाकर कमाते हैं।

80 लाख लोग सालाना मौत के शिकार

चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू निर्माता और उपभोक्ता देश है जहां करीब 24.1 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान ने WHO व स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर सर्वेक्षण किया है. जिसके मुताबिक भारत में 14 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान करते हैं वहीं 25.9 प्रतिशत लोग तंबाकू चबाते हैं। WHO का आंकलन है, ‘2030 तक इससे 80 लाख लोग मारे जा सकते हैं। इस पर डॉक्टर का कहना था कि भारत में सबसे अधिक युवा हैं और इस अवस्था में मीडिया व आसपास का वातावरण उन्हें तंबाकू के सेवन के लिए प्रेरित कर रहा है ऐसे में बच्चों से उनके माता-पिता को बात करनी चाहिए व किसी चिकित्सक से बात कर उनकी सलाह लेनी चाहिए।

ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहा उपयोग

गलोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गैट्स) 2009-10 के अनुसार करीब 35 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं जिनमें 47 प्रतिशत पुरुष और 20.2 प्रतिशत महिलाएं हैं। भारत में धूम्रपान करने या तंबाकू खाने वाला कोई व्यक्ति हर साल इन उत्पादों को खरीदने में करीब 3600 रुपये खर्च करता है। इस पर डॉक्टर का कहना था कि तंबाकू के सेवन से सबसे अधिक हार्ट व फेफड़े प्रभावित होते हैं धूम्रपान आपके वायुमार्ग और आपके फेफड़ों में पाए जाने वाले छोटे वायु थैली (एल्वियोली) को नुकसान पहुंचाकर फेफड़ों की बीमारी का कारण बन सकता है। धूम्रपान के कारण होने वाले फेफड़े के रोगों में सीओपीडी शामिल है, जिसमें वातस्फीति और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस शामिल हैं। सिगरेट पीने से फेफड़ों के कैंसर के ज्यादातर मामले सामने आते हैं। इसके अतिरिक्त तम्बाकू से दांत कमजोर पड़ जाते हैं और समय से पहले ही गिर जाते हैं. इसके सेवन से दंत रोग हो जाते हैं. आंखों की ज्योति कम हो जाती है. आदमी बहरा और अन्धा हो जाता है. व्यक्ति नपुंसक भी हो सकता है. फेफड़ों की टीबी हो जाती है, जो मनुष्य को सब प्रकार से बर्बाद कर देती है और मृत्यु को निकट ला देती है. तम्बाकू के निकोटीन से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, रक्त संचार मंद पड़ जाता है. अत: तम्बाकू निषेध दिवस पर प्रत्येक धूम्रपान करने वाले को उसका प्रयोग नहीं करने का संकल्प लेना ही चाहिए।

महिलाओं में भी खतरा बढ़ा

डॉ अंकित बंसल ने बताया कि महिलाओं की तंबाकू सेवन करने से उन्हें कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, यदि माता प्रेग्नेंट अवस्था में तंबाकू का सेवन करती है तो उससे होने वाले बच्चे में भी जीन ट्रांसफर होते हैं जिससे उसमें भी कोई कमी पैदा हो सकती है। भारत में धूम्रपान करने के कारण हर साल औसतन 10 लाख लोगों की जान जाती है। इस आंकड़ें में पिछले 30 वर्षों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है। जहां देशों में तम्बाकू पीने के कारण 1990 में 6 लाख लोगों की जान गई थी, वो संख्या 2019 में बढ़कर 10 लाख पर पहुंच गई है। यह जानकारी मई 2021 में अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में छपे एक अध्ययन में सामने आई है।

वहीं यदि सभी रूपों में तम्बाकू के सेवन की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल होने वाली 13.5 लाख मौतों के लिए तम्बाकू जिम्मेवार है। भारत दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे इंडिया, 2016-17 के अनुसार देश में 29 फीसदी वयस्क (26.7 करोड़) तंबाकू का सेवन करते हैं। इसमें खैनी, गुटखा, सुपारी तंबाकू, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट और हुक्का जैसे उत्पाद शामिल हैं।

भारत सरकार ने 2003 में एक अधिनियम पारित किया था, जिसके तहत कहा गया था कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान नहीं करेगा. इनमें सभागृह, भवनों, रेलवे स्टेशन, पुस्तकालय, अस्पताल, रेस्तरां, कोर्ट, स्कूल, कॉलेज आदि आते हैं. समय-समय पर इन नियमों में सुधार किए जाते रहे हैं. आजकल सभी सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध है। 2003 में बने अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थलों पर भारतीय भाषाओं में बड़े अक्षरों में गैर-धूम्रपान क्षेत्र के बोर्ड लगाए जाएं. सिगरेट और तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन नहीं किया जाएगा। तीस कमरों के होटल या तीस से अधिक लोगों के बैठने की रेस्तरां में मालिक या मैनेजर ये तय करें कि धूम्रपान व गैर-धूम्रपान क्षेत्र अलग हों. लोगों को गैर-धूम्रपान क्षेत्र में जाने के लिए धूम्रपान वाले इलाके से न गुजरना पड़े।


राजस्थान चौक के लिए अर्चना यादव की रिपोर्ट।

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लेखक परिचय

Ankit Tiwari
Ankit Tiwarihttp://rajasthanchowk.com/
वर्ष 2003 से पत्रकारिता में। बिजनेस रिपोर्टिंग, उपभोक्ता अधिकारो, आम आदमी से जुड़े पहलुओं, उद्योग, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, टैक्स, ऊर्जा, बैंकिंग और कृषि सेक्‍टर पर विशेष पकड़।बिजनेस सेमीनार, बड़े आयोजनों सहित बहुजनहिताय के मुद्दों पर रिपोर्टिंग।
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