शरद पुरोहित,जयपुर। कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। गहलोत अब हरियाणा चुनाव प्रबंधन, कैंपेन और सरकार गठन की प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। करीब 3 महीने तक स्लिप डिस्क की समस्या से जूझने के बाद, अब वे फिर से सक्रिय हो गए हैं।
3 सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त
कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए तीन सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किए हैं। इनमें पहला नाम अशोक गहलोत का है, दूसरा कांग्रेस के महासचिव अजय माकन का और तीसरा पंजाब के कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा का है। हालांकि, गहलोत का नाम सबसे ऊपर होने के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।
गहलोत बने सीनियर ऑब्जर्वर
अशोक गहलोत को हरियाणा विधानसभा चुनाव में सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है। उनकी जिम्मेदारी न केवल चुनाव प्रबंधन की होगी, बल्कि सरकार गठन और मुख्यमंत्री का नाम तय करने का भी जिम्मा उन्हीं पर होगा। उनकी नियुक्ति से हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति और अधिक सशक्त हो गई है।
गहलोत का स्वास्थ्य लाभ
स्लिप डिस्क से पीड़ित अशोक गहलोत लगभग 3 महीने से चिकित्सकीय परामर्श पर थे, लेकिन 6 सितंबर को उन्होंने ट्वीट कर अपनी सेहत में सुधार की जानकारी दी। इसके बाद से ही वे लगातार कांग्रेस के अभियान में सक्रिय होते जा रहे हैं।
स्टार प्रचारकों में भी गहलोत का नाम
कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव के लिए जो स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, उसमें भी अशोक गहलोत, सचिन पायलट और गोविंद सिंह डोटासरा का नाम शामिल है। इन तीनों नेताओं का राजनीतिक कद लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद और बढ़ गया है।
सीनियर ऑब्जर्वर के काम
सीनियर ऑब्जर्वर का काम राज्य में चुनावी प्रबंधन, प्रचार अभियान, घोषणा पत्र, और सरकार गठन जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभालना होता है। गहलोत इस भूमिका में चुनाव से लेकर मुख्यमंत्री चयन तक की प्रक्रिया को देखेंगे।
दिल्ली दौरे के बाद चर्चाएं
अशोक गहलोत का 12 सितंबर को दिल्ली दौरा हुआ था, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। अब कांग्रेस आलाकमान ने उनकी नियुक्ति से इन चर्चाओं पर मुहर लगा दी है।
गहलोत की वापसी से कांग्रेस को फायदा
अशोक गहलोत की नियुक्ति से कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा चुनाव में बड़ी मदद मिल सकती है। उनके राजनीतिक अनुभव और संगठन क्षमता का लाभ पार्टी को मिलेगा। खासकर उनके नेतृत्व में पार्टी के चुनावी कैंपेन को मजबूती मिलेगी।