जयपुर(शरद पुरोहित)। राजस्थान के नेता इस बार हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में खास भूमिका निभा रहे हैं। राजस्थान के बीजेपी और कांग्रेस के नेता पड़ोसी राज्य हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए बड़ी संख्या में भेजे गए हैं। राजस्थान के कई जिलों की सीमाएं हरियाणा से सटी होने के कारण इन इलाकों में जातीय समीकरण और आपसी रिश्तेदारियां भी अहम भूमिका निभा रही हैं। यही कारण है कि हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने राजस्थान के नेताओं को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को हरियाणा चुनाव का प्रभारी बनाया गया है। वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल जैसे बड़े नेता भी हरियाणा में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
शेखावाटी के नेताओं को हरियाणा में मिली खास जिम्मेदारी
हरियाणा के चुनावी प्रचार में इस बार शेखावाटी क्षेत्र के नेताओं को खासतौर पर भेजा गया है। शेखावाटी क्षेत्र, जिसमें चूरू, झुंझुनू, और सीकर शामिल हैं, के नेताओं को जातीय समीकरण और कृषि प्रधान इलाकों के चलते अहम जिम्मेदारी दी गई है। इन क्षेत्रों के कई नेता हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में जाकर चुनावी प्रचार कर रहे हैं।
सोशल इंजीनियरिंग के तहत शेखावाटी से बड़ी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं को हरियाणा भेजा गया है। इन नेताओं में पूर्व सांसद संतोष अहलावत, चूरू जिला अध्यक्ष प्रभा धंधावत, और उपाध्यक्ष नीलम पूनिया शामिल हैं, जो वहां की राजनीतिक परिस्थितियों को भुनाने में जुटे हैं।
केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन
हरियाणा में चुनाव प्रचार को मजबूती देने के लिए राजस्थान से 50 से अधिक महिला कार्यकर्ता और 40 के करीब पुरुष कार्यकर्ताओं को भेजा गया है। ये सभी कार्यकर्ता और नेता स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
मदन राठौड़, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, ने कहा कि दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार में राजस्थान के नेताओं की भूमिका सहयोगी के रूप में होती है। उन्होंने कहा, “हरियाणा हमारा पड़ोसी राज्य है और दोनों राज्यों के बीच संस्कार, संस्कृति, और रिश्तेदारी का पुराना संबंध है। इसीलिए, जब चुनाव होते हैं, तो एक-दूसरे के प्रचार में मदद करना स्वाभाविक है।”
कांग्रेस नेताओं की भी सक्रियता
कांग्रेस के नेता भी इस बार हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस के प्रमुख नेता, जिनमें सचिन पायलट, रघु शर्मा, और गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में पार्टी के प्रचार को मजबूत कर रहे हैं। कांग्रेस की योजना भी भाजपा की तरह जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संबंधों का फायदा उठाने की है। कांग्रेस ने राजस्थान के मेवात और अलवर जिलों के नेताओं को हरियाणा के मेवाती इलाकों में प्रचार करने की जिम्मेदारी दी है। मेवात क्षेत्र के मतदाताओं पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ मानी जाती है, और इस बार पार्टी इन इलाकों से अच्छे परिणाम की उम्मीद कर रही है।
हरियाणा में चुनावी रणनीति और मुद्दे
हरियाणा की राजनीति में कृषि और किसान मुद्दों का हमेशा से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसी वजह से बीजेपी ने शेखावाटी के कृषि प्रधान क्षेत्रों से नेताओं को हरियाणा भेजा है। इन नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे हरियाणा के किसान वर्ग को भाजपा के पक्ष में लामबंद करें।
राजस्थान के कई नेताओं ने हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय किसानों से मुलाकातें की हैं और उन्हें सरकार की योजनाओं के बारे में बताया है। भाजपा ने किसानों को साधने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रमुखता से अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाया है, जिसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना और सिंचाई परियोजनाएं शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर में भी राजस्थान के नेता सक्रिय
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में भी राजस्थान के कई नेता सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भाजपा के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, और पार्टी ने राजस्थान से कई वरिष्ठ नेताओं को वहां प्रचार के लिए भेजा है।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल सहित अन्य भाजपा नेता जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर स्थानीय लोगों से संवाद कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि भाजपा की नीतियों और केंद्र सरकार की योजनाओं को मतदाताओं तक पहुंचाया जाए।
राजनीतिक दलों की पारंपरिक रणनीति
यह कोई नई बात नहीं है कि जब किसी राज्य में चुनाव होते हैं, तो दूसरे राज्यों के नेता प्रचार में हिस्सा लेते हैं। हरियाणा के चुनावों में भी राजस्थान के नेताओं की बड़ी भूमिका रही है, क्योंकि दोनों राज्यों के बीच न केवल भौगोलिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध भी गहरे हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का कहना है कि दूसरे राज्यों में प्रचार करने का उद्देश्य सिर्फ सहयोग देना होता है। “स्थानीय कार्यकर्ता ही चुनावी मैदान में असली भूमिका निभाते हैं, जबकि बाहरी नेता उनका समर्थन करने के लिए आते हैं,” उन्होंने कहा।
हरियाणा और राजस्थान के सामाजिक संबंध
हरियाणा और राजस्थान के बीच लंबे समय से सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध रहे हैं। दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलों में लोगों की जीवनशैली, संस्कृति, और भाषा में समानता है। इसके अलावा, जातीय और पारिवारिक संबंध भी इन दोनों राज्यों के लोगों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं।
राजस्थान और हरियाणा के बीच राजनीतिक दृष्टिकोण से भी कई समानताएं हैं, क्योंकि दोनों राज्यों में ग्रामीण और कृषि आधारित जीवनशैली है। इस कारण, हरियाणा चुनावों में राजस्थान के नेताओं की भूमिका और प्रभाव काफी महत्वपूर्ण है।