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अनकही by Ankit Tiwari 11 ।। सत्ता, सीएमओ और सचिवालय के गलियारों की चर्चा

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अनकही ankahi

अंकित तिवारी, जयपुर। राजस्थान की राजनीति में शह और मात का दौर चल रहा है, खेल प्यादों से खेला जा रहा है। सेनापति चुपचाप वार कर गंभीर घाव देने की कोशिश में है। ब्यूरोक्रेसी पहले से समझदार है कि भाव किसको देना है किसे नहीं। पुलिस के कप्तान भी निरकुंश भाव से मनचाही जगह कील ठोक रहे है। सूचना का तंत्र इतना लचर है कि बड़ी घटनाओं पर करना क्या है यह समझने में ही सूरज दिशा बदल ले रहा है। जानिए सत्ता, सीएमओ और सचिवालय के गलियारों की चर्चा, अनकही by Ankit Tiwari में।

कौन शत्रु, किसका नाश

कहावत है समय बुरा हो तो ऊंट पर बैठे को कुत्ता डस लेता है। यहां काट लेना भी लिख सकता था लेकिन बात मन में फैले जहर की है। जुजरबा का इस्तेमाल करने वाले इन दिनों शस्त्र विहीन है। अपने अपने शक्ति सम्पन्न आराध्यों की दर पर नाक रगड़ रहे है। कोई समय बनाए रखने के लिए सलाह मान रहा है तो कोई चाल को अपने पक्ष में करने के लिए। सबसे बड़ी चर्चा उनकी हुई जिन्होंने बॉर्डर इलाके में शत्रु नाशक यज्ञ करके सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना की। वैसे आपको बता दूं इस दिन पोस्टर कम दिखे, क्यों दिखे यह वजह भी दिलचस्प है।

IIFA की एक्टिंग का हीरो

आईफा की चकाचौंध में एक्टर कब हीरो बन गए इसकी चर्चा है। पहले स्पांसरशिप का चेहरा डबल करके एंट्री पास हथियाना और फिर ग्रीन कारपेट पर कदमताल सब नोटिस किया गया। जो सितारे आए उन्होंने खम्माघणी राजस्थान कहकर इतिश्री कर ली। कौन बड़ा अभिनेता है, इसका आकलन अवॉर्ड वालों ने किया। रियल लाइफ का हीरो कौन है, नेता यह भी बताते नजर आए। जिनको पास नहीं मिले उन्होंने सोशल मीडिया पर 100 करोड़ रुपए का खर्च हिसाब मांग लिया। इन सबके बावजूद अंत तक यह तय नहीं हो पाया कि IIFA की एक्टिंग का असल हीरो कौन रहा।

गेहूं के साथ घुन पिस गया

अजमेर में स्थानीय राजनेताओं को दरकिनार कर बना सेवन वंडर्स प्रोजेक्ट जमीन पर है। असल ठेकेदारी की जड़ में दबे कई मुर्दे उखाड़े जा रहे है। पुतलों को धराशाही होता देखकर नेता खुश है, दोष किसको दे उसको लेकर भी प्लानिंग की हुई है। लेकिन कुर्सी के रचियेता जानते है कि इस प्रोजेक्ट को डिजाइन करने वाले अभी भी निर्णय की टेबलों पर देखे जाते है।

किसकी चल रही है

कुर्तें पर कलफ लगाए केसरिया नेता सदन में जोर दिखा रहे है कि निगाह में आए। इन पुराने चावलों के चेहरे महलों में तैयार हुए है, लेकिन जानते है अब धार भरतपुर के पानी से मिलेगी। ऐसे में हर वक्त किसकी चल रही है का सूत्र खोजते नजर आ रहे है, युवा कदमों में तो सर रखने को तैयार है। वजह 2023 में जितना पैसा लगाया उसकी रिकवरी भारी पड़ रही है। उम्मीद है कि मंत्रालय मिलेगा तो सारे कर्जें एफडी में बदले जाएगें। कुछ ने तो तय कर लिया है कि कोई एक भी बनेगा तो मदद दूसरे की करेगा। उनको कौन समझाए सब मोहमाया है वक्त भजन करने का है।

पुरस्कार के पीछे किसके हाथ

दिसंबर 2023 से केसरिया दफ्तर में चक्कर लगाने वाली एक समाजसेविका इन दिनों चर्चा में है। सरकार का कोई भी बड़ा कार्यक्रम हो पुरस्कार उन्हें ही मिल रहा है। झीलों की नगरी से लेकर छोटी काशी तक अचानक इतना सम्मान बिना कुछ करें मिलने लगा है। ऐसे में चर्चा है कि वरद हस्त किसका है? या फिर कार्यकर्ता को आगे बढ़ाने की पार्टी की परपंरा का हिस्सा।

काला धागा

तंत्र मंत्र के जाल में नेता तो रहते ही है, साहेब भी सबके बीच कह चुके है कि भजन तो करना ही पड़ेगा। अब क्लाइव क्लास से आने वालों के पैरों में काला धागा आ जाए तो चर्चा स्वाभाविक है। ब्रह्म्म ज्ञान की गोद में तन्मयता और मंत्रोचर से पूजा हुई है। तन्मयता देख साधक की साधना किस खोज में है, अब सब जानना चाहते है।

गुस्से में मातहत

बड़े बाबू के दफ्तर में दो कार्मिक एपीओ कर दिए। वजह कार्य स्थल पर हाथापाई की नौबत रही। मूल विभाग में तो भिजवा दिए गए लेकिन कुछ राज साथ लेकर गए है। ऐसे में पुचकार कर कहा है कि गर्मी की जगह यह नहीं है।

ऊर्जा किसने दी

फरवरी में सुस्त रहने वाले साहब अब फिर से शिखर पर है। सलाह देना और पक्ष विपक्ष के संतुलन को तय करने का काम तेज कर दिया है। कुछ काम ऐसे भी करवा लिए जा रहे है जिन पर पूरी सहमति नहीं है। राज में चेहरा देख कर तिलक निकालने की परंपरा पुरानी है। दिल्ली की कानाफुसी से परेशान हुए ताकतवर दफ्तर के नौकरशाह को ऊर्जा कहा से मिली यह देखने वाली बात है।

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