अंकित तिवारी,जयपुर। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष का जयपुर दौरा राजनीतिक चर्चाओं को गरम कर गया। राजस्थान में वसुंधरा राजे एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। पीएम मोदी का मंच हो या बीजेपी संगठन की अहम बैठकें राजे की मौजूदगी राजस्थान की सियासत को बड़ा संदेश दे रही है। रविवार को बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने प्रदेश बीजेपी कार्यालय में संगठन और सरकार दोनों की समीक्षा बैठक ली। इस बैठक कक्ष से बाहर आई एक तस्वीर ऐसी थी जिस पर सबकी नजरें ठिठकीं। ये तस्वीर वसुंधरा राजे की थी जो इस बैठक का हिस्सा थीं। बैठक में वे मुस्कुराती हुई नजर आईं और राजे सरीखे मंझे राजनेता तस्वीरों के जरिए संदेश देने की रिवायत को भली-भांति जानते हैं।
क्या वसुंधरा राजे को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
अब इन तस्वीरों के साथ सवाल भी खड़े हो रहे हैं। करीब एक साल के अज्ञात वास से वसुंधरा राजे का बाहर आना और संगठन में उनकी बढ़ती सक्रियता के क्या मायने हैं? क्या राजे को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी? जानकारी के मुताबिक संगठनात्मक समीक्षा की औपचारिक बैठक के अलग राजे और बीएल संतोष अलग से बातचीत भी हुई।
इससे पहले वसुंधरा राजे की तस्वीर पीएम हाऊस से आई थी जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वन-टू-वन मिलती नजर आईं। यह मुलाकात तब और भी ज्यादा चर्चाओं में आई जब राजस्थान के प्रदेश प्रभारी ने राजे की ओर से सोशल मीडिया पर साझा की गई इस तस्वीर को रिट्वीट करते हुए लिखा…बहुत-बहुत शुभकामनाएं व हार्दिक बधाईयां वसुंधरा राजे जी..। इसके बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चाएं तेज हो गईं कि राजे को राजस्थान अथावा राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
राजे समर्थकों में खुशी की लहर
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या वाकई राजे को तरजीह दी जा रही है और ऐसा है तो क्यों दी जा रही है? क्योंकि मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेताओं का बीजेपी में पुनर्वास नहीं हो पाया। वहीं राजस्थान में विधानससभा चुनाव, लोकसभा चुनाव व उसके बाद हाल में हुए उपचुनाव में पूरी तरह साइडलाइन रही राजे को अचानक क्यूं पूछा जाने लगा है। चर्चाएं है कि उन्हें पार्टी में कोई अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। ऐसी चर्चा है कि राजस्थान में संगठन और सरकार की डिलिवरी नहीं है। रविवार को बीएल संतोष ने प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को कड़ी फटकार लगाते हुए यह तक कहा कि आप अभी भी पाली जिलाध्यक्ष की तरह काम करते नजर आ रहे हैं।
सरकार के स्तर पर भी कुछ कमियां नजर आ रही है या पार्टी में कुछ असंतोष पनप रहा है? इन सब को साधने के लिए बीजेपी के पास राजस्थान में फिलहाल राजे से बेहतर कोई नेता नहीं है। वसुंधरा राजे सक्रिय होती हैं तो इसका फायदा सीएम भजनलाल को भी मिलेगा। वे पहली बार के सीएम हैं। सरकार में उनका अनुभव कम है और वरिष्ठों को साधने की चुनौती भी बड़ी है। ऐसे में यदी राजे का समर्थन उन्हें मिलता है तो निश्चित रूप से राहत मिलेगी।