15वीं विधानसभा चुनाव: किसके हाथों में होगी सत्ता का बागडोर?

क्रम सं. नाम पदभार पदमुक्ति दल
1. हीरा लाल शास्त्री 7 अप्रैल 1949 5 जनवरी 1951 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2. सी एस वेंकटाचारी 6 जनवरी 1951 25 अप्रैल 1951 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
3. जय नारायण व्यास 26 अप्रैल 1951 3 मार्च 1952 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
4. टीका राम पालीवाल 3 मार्च 1952 31 अक्टूबर 1952 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
5. जय नारायण व्यास(2) 1 नवम्बर 1952 12 नवम्बर 1954 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
6. मोहन लाल सुखाड़िया 13 नवम्बर 1954 11 अप्रैल 1957 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
7. मोहन लाल सुखाड़िया(2) 11 अप्रैल 1957 11 मार्च 1962 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
8. मोहन लाल सुखाड़िया(3) 12 मार्च 1962 13 मार्च 1967 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
रिक्त राष्ट्रपति शासन 13 मार्च 1967 26 अप्रैल 1967
9. मोहन लाल सुखाड़िया(4) 26 अप्रैल 1967 9 जुलाई 1971 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
10. बरकतुल्लाह खान 9 जुलाई 1971 11 अगस्त 1973 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
11. हरिदेव जोशी 11 अगस्त 1973 29 अप्रैल 1977 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
रिक्त राष्ट्रपति शासन 29 अगस्त 1973 22 जून 1977
12. भैरोंसिंह शेखावत 22 जून 1977 16 फरवरी 1980 जनता पार्टी
रिक्त राष्ट्रपति शासन 16 मार्च 1980 6 जून 1980
13. जगन्नाथ पहाड़ीया 6 जून 1980 13 जुलाई 1981 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
14. शिवचरण माथुर 14 जुलाई 1981 23 फरवरी 1985 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
15. हीरा लाल देवपुरा 23 फरवरी 1985 10 मार्च 1985 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
16. हरिदेव जोशी(2) 10 मार्च 1985 20 जनवरी 1988 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
17. शिवचरण माथुर(2) 20 जनवरी 1988 4 दिसम्बर 1989 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
18. हरिदेव जोशी(3) 4 दिसम्बर 1989 4 मार्च 1990 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
19. भैरोंसिंह शेखावत(2) 4 मार्च 1990 15 दिसम्बर 1992 भाजपा
20. भैरोंसिंह शेखावत(3) 4 दिसम्बर 1993 29 दिसम्बर 1998 भाजपा
21. अशोक गहलोत 1 दिसम्बर 1998 8 दिसम्बर 2003 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
22. वसुन्धरा राजे सिंधिया 8 दिसम्बर 2003 11 दिसम्बर 2008 भाजपा
23. अशोक गहलोत(2) 12 दिसम्बर 2008 13 दिसम्बर 2013 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
24. वसुन्धरा राजे सिंधिया(2) 13 दिसम्बर 2013 पदस्थ भाजपा

 

पहली विधानसभा चुनाव 1952 में कुल 160 सीटों पर चुनाव हुआ था जिसमें 82 सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस ने सत्ता में आकर सरकार का गठन किया। इसमें तीन मुख्यमंत्री टीका राम पालीवाल, जय नारायण व्यास और मोहन लाल सुखाड़िया प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वही 78 सीटों के साथ प्रजा प्रगतिशील दल एवं अन्य दल विपक्ष की भूमिका में रहा।

दूसरी विधानसभा चुनाव 1957 में 176 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 119 सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल की और मोहन लाल सुखाड़िया दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 57 सीटों के साथ प्रजा प्रगतिशील दल एवं अन्य दलों ने विपक्ष की भूमिका में रहा।

तीसरी विधानसभा चुनाव 1962 में 176 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 89 सीटों के साथ कांग्रेस ने सरकार का गठन किया और तीसरी बार मोहन लाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री बने। वही 87 सीटों के साथ टक्कर देते हुए स्वतंत्र पार्टी एवं अन्य विपक्ष में रहा।

चौथी विधानसभा चुनाव 1967 में 184 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 103 सीटों के साथ कांग्रेस सत्ता में  आई और मोहन लाल सुखाड़िया को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन इसी बीच बरकातुल्ला खान भी मुख्यमंत्री बने। 81 सीटों के साथ स्वतंत्र पार्टी एवं अन्य दलों ने विपक्ष में रहा।

इसके बाद पहली बार प्रदेश में 13 मार्च 1967 से 26 अप्रैल 1967 तक राष्ट्रपति शासन लागू हुए।

5वीं विधानसभा चुनाव 1972 में 184 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 145 सीटों के साथ कांग्रेस ने सरकार बनायी, बरकातुल्ला खान और हरिदेव जोशी दो मुख्यमंत्री बने। 39 सीटों के साथ स्वतंत्र पार्टी एवं अन्य दलों ने विपक्ष की भूमिका में रहे।

30 मार्च 1977 से 21 जून 1977 प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा रहा।

6वीं विधानसभा चुनाव 1977 में पहली बार 200 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 150 सीटों पर जनता दल बहुमत के साथ प्रदेश में वर्ष 1980 में पहली बार सरकार बनाने में सफलता हासिल की। मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखाबत बने। वही पहली बार 50 सीटों के साथ कांग्रेस एवं अन्य दल विपक्ष की भूमिका में रहे।प्रदेश में पहली बार गैर कांगेस सरकार का गठन हुआ।

लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर सकने के कारण प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया। और 17 फरवरी 1980 से 5 जून 1980 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू रहा।

7वीं विधानसभा चुनाव 1980 में 200 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 133 सीटों पर कांग्रस सरकार में आयी और जगन्नाथ पहाड़ीया, शिवचरण माथुर और हीरा लाल देवपुरा तीन मुख्यमंत्री बदले। 67 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) विपक्ष पर रही।

8वीं विधानसभा चुनाव 1985 में 200 सीटों पर 113 सीटों पर कांग्रेस और 87 सीटों पर बीजेपी एवं अन्य राजनीतिक दल मिलकर विपक्ष में रही। हरिदेव जोशी दूसरी बार और शिवचरण माथुर भी दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

9वीं विधासभा चुनाव 1990 में 200 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 84 सीटों पर बीजेपी और 54 सीटों जनता दल मिलकर सरकार बनायी। प्रदेश के मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत दूसरी बार बने। और कांग्रेस 62 सीटों के साथ विपक्ष में।

गठबंधन की सरकार अपने कार्यकाल को पूरा नहीं कर सकी जिसके बार इनकी सरकार गिर गई।इसके बाद  प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 15 दिसम्बर 1992 से 3 दिसम्बर 1993 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन रहा।

10वीं विधासभा चुनाव 1993 में प्रदेश में 200 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 124 बीजेपी अन्य पार्टियों के साथ सत्ता में आयी तीसरी बार भैरोंसिंह शेखावत प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 76 सीटों के साथ कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में रही।

11वीं विधानसभा चुनाव 1998 में 200 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 152 सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल कर फिर सत्ता में आई। और पहली बार अशोक गहलोत प्रदेश की मुख्यमंत्री बने। 48 सीटों के बीजेपी को विपक्ष की भूमिका में जाना पड़ा।

12वीं विधानसभा चुनाव 2003 में 200 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें बीजेपी ने 123 सीटों पर जीत दर्ज की और सत्ता में वापसी की और पहली बार वसुन्धरा राजे सिंधिया प्रदेश की मुख्यंत्री बनी। 77 सीटों के साथ कांग्रेस को विपक्ष में जाना पड़ा।

13वीं विधानसभा चुनाव 2008 में 200  सीटों पर चुनाव हुए जिसमें 102 सीटों कांग्रेस ने जीत दर्ज की और दूसरी बार अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 98 सीटों पर बीजेपी को अन्य दलों के साथ विपक्ष में जाना पड़ा।

14वीं विधासभा चुनाव 2013 में 200 सीटों पर 163 सीटों के साथ बीजेपी सरकार बनायी। प्रदेश में दूसरी बार वसुन्धरा राजे सिंधिया मुख्यमंत्री बनी। और मात्र 37 सीटों पर ही कांग्रेस को अन्य दलों के साथ विपक्ष की भूमिका में है।

15वीं विधान सभा चुनाव का मतदान 7 दिसम्बर 2018 को होना है। प्रदेश के दोनों मुख्य पार्टियों के लिए प्रश्नचिंह बना हुआ है। प्रदेश में 1993 के बाद कोई भी पार्टी लगातार सत्ता में आने में सफल नहीं हुर्ई है। चुनाव की तैयारियां भी चरम पर है। मतदान में केवल तीन दिन बचे है। इसबार देखना यह रोचक होगा कि क्या बीजेपी सत्ता दुहराने में कामयाब होती है। या कांग्रेस के हाथों सत्ता का बागडोर होगा?

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लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
Dr Sharad Purohithttps://x.com/DrSharadPurohit
शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
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