राजस्थान के खाते में आए 4 पद्मश्री, भीलवाड़ा के बहरूपिया बाबा जानकीलाल को भी मिलेगा यह सम्मान; जानिए कौन हैं मंकी मैन?

इस बार राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले जानकीलाल को पद्म श्री पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया है। ये प्रदेश के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले हैं और इन्हें बहरूपिया बाबा के नाम से जाना जाता है।

चौक टीम, जयपुर। केंद्र की मोदी सरकार ने गणतंत्र दिवस से पहले पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया है। कला, सामाजिक कार्य, विज्ञान, इंजीनियरिंग, व्यापार, उद्योग, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल और सिविल सेवा में असाधारण सेवा के लिए पद्म विभूषण, उच्च कोटि सेवा के लिए पद्म भूषण और विशिष्ट सेवा के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाता है। हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। इस बार राजस्थान के खाते में 4 पद्मश्री अवार्ड आए हैं।

बता दें इस बार राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले जानकीलाल को पद्म श्री पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया है। ये प्रदेश के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले हैं और इन्हें बहरूपिया बाबा के नाम से जाना जाता है। 83 साल के जानकीलाल विरासत में मिली कला को आगे बढ़ा रहे हैं।

बाबा को बहरूपिया कला विरासत में मिली

संगीत कला केंद्र भीलवाड़ा राजस्थान दिवस और विश्व रंगमंच दिवस पर जानकीलाल को लाइफ टाइम एचीवमेंट अवॉर्ड दे चुका है। 83 साल के जानकीलाल बताते हैं कि बहरूपिया कला उन्हें विरासत में मिली है। उनके दादा कालूलाल और पिता हजारी लाल इस कला का प्रदर्शन किया करते थे और इसी से पारिवार का पालन पोषण भी होता था।

इसलिए बहरूपिया बाबा कहते हैं 

बता दें भीलवाड़ा के जानकी लाल पिछले 6 दशक से इस लुप्त होती कला को जिंदा रखे हुए है। उन्होंने अपनी 3 पीढ़ियों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए- पौराणिक कथाओं, लोककथाओं और पारंपरिक कहानियों के माध्यम से इस कला को संजो कर रखा है।  81 साल के जानकीलाल जिन्हें भीलवाड़ा के बहरूपिया बाबा कहा जाता है। बहरूपिया कलाकार हैं। लोग भीलवाड़ा के बहरूपिया बाबा के नाम से जानते हैं। क्योंकि वह एक बहरूपिया कलाकार है। बहरूपिया कला मौजूदा दौर में एक विलुप्त होती कला शैली है, लेकिन जानकी लाल के पास बहरूपिया कला की महारत हासिल है। वह वैश्विक दर्शकों को इस लुप्त होती कला शैली से करीब 6 दशक यानी 60 साल से भी ज्यादा वक्त से दिखा रहे हैं।

विदेश में मंकी मैन बुलाते थे लोग

जानकीलाल ने बताया कि उन्हें उदयपुर लोक कला मंडल, मुंबई, जोधपुर और विदेशों में भी कई खिताब मिले। दिल्ली में उन्होंने एक महीने तक लगातार कार्यक्रम किया था। साल 1986 में लंदन और न्यूयॉर्क गए, इसके बाद 1988 में जर्मन, रोम, बर्मिंघम और फिर लंदन गए थे। न्यूयॉर्क, दुबई, और मेलबॉर्न में भी उनकी कला को खास दाद मिली। वहां उन्हें लोग मंकी मैन के नाम से जानने लगे थे। विदेश में उन्होंने फकीर और बंदर का रोल अदा किया था।

वहीं दुनिया भर में ध्रुपद गायन की कला से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले पं. लक्ष्मण भट्ट तैलंग की साधना को सम्मान दिया जा रहा है. जयपुर के लक्ष्मण भट्ट तैलंग को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान में शामिल पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. इनके अलावा राजस्थान के ही मांड गायक अली मोहम्मद व गनी मोहम्मद की जोड़ी और सोशल वर्कर डॉ. माया टंडन को भी पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा.

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लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
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शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
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