हमने अक्सर बड़ी जॉइंट फैमिली के बारे मे सुना है या जाहिर है ज्यादतर लोगो ने इन्हे कभी देखा नही क्युंकि ज्यादतर परिवार जॉइंट फैमिली मे नही रह पाते क्यूँकि वो बाहर पढ़ने या नोकरी करने निकल जाते है और फिर वही के होके रह जाते है पर आज हम बात करके एक ऐसी जॉइंट फैमिली की जो कुल 185 लोगो का परिवार है जी हा यह परिवार हमारे अजमेर के रामसर गाव का है और हमने अक्सर देखा है की छोटे परिवार भी बिना लडाई झगड़े के चल जाए नमुम्किँ सा है पर ये परिवार इतना बड़ा होकर भी अत्यंत खुशहाल है कुछ रिपोर्ट के अनूसार हम आपको बताते है तो चलिए जानते है|
इस छोटे से गाव रामसर के बड़े से परिवार के बारे मे. एक कथन तो आपने सुना ही होगा की बच्चा जब तक अजन्मा होता है, मां की कोख उसकी ढाल होती है और जब पैदा होने के बाद आखिरी सांस तक परिवार उसका सुरक्षा कवच होता है। इस कथन की जीती जागती मिसाल है अजमेर के रामसर गांव में रहने वाला मोहनलाल माली का परिवार। परिवार, जिसमें 185 (पिचासी) सदस्य हैं। हाल में फिल्म अभिनेता विक्की कौशल और सारा अली खान एक फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में इस परिवार से मिलने पहुंचे। विक्की और सारा के इस परिवार से मिलने के बाद लोगों में कई सवाल थे।• 185 लोगों के परिवार का घर कितना बड़ा होगा? इतने लोगों के खाने पर कितना खर्च हो जाता होगा? परिवार की इनकम कितनी है?
ऐसे ही कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमारे कुछ साथी वहा पहुँचे और उन्होंने मोहनलाल माली के परिवार से बातचीत की । जब वहां पहुंचे तो देखा कि आसपास में परिवार के 6 मकान बने हुए थे, जिनमें 84 (चौरासी)कमरे हैं साथ ही साथ एक बड़ी रसोई जिसमें खाना बनाने के लिए 11 चूल्हे लगे हुए हैं। जब घर के मुखिया से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि सिर्फ रसोई के राशन पर ही हर महीने 12 लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। बच्चों के बिस्किट, टॉफी पर 1 लाख 6 पीढ़ियों के 185 (एक सो पिचासी)सदस्यों वाले इस परिवार के पास 700 बीघा जमीन है। कुछ सदस्य सरकारी नौकरी और कुछ डेयरी सहित दूसरे कामों से जुड़े हैं, लेकिन ज्यादातर खेती करते हैं। परिवार की सालाना कमाई 2 करोड़ रुपए है।
शुरुआत में थी 4 बीघा जमीन है साथ ही साथ उन्होंने बताया की पिता सुल्तान माली ने हमेशा एक साथ रहने की सीख दी। हम छह भाई थे। मेरे से बड़े भंवरलाल व रामचन्द्र का देहान्त हो चुका है, लेकिन वह खुद और उनके तीन छोटे भाई छगनलाल, छोटूलाल, बिरदीचंद हैं। आज भी छह भाइयों का परिवार साथ रहता है। इसमें 65 (पैसठ) पुरुष, 60 महिलाएं व 60 बच्चे हैं। पिता के समय बड़ा भाई एक सेठ के यहां नोकरी करता था। केवल चार बीघा जमीन थी। बाद में सब साथ रहने लगे और काम-कमाई करने लगे। सब मिलजुल कर प्रेम से रहते थे और खेती-बाड़ी व डेयरी का काम करते थे।
आज काम धंधे बहुत सारे हैं और कुछ लोग नौकरियां भी करते है। यह जॉइंट फैमिली का ही परिणाम है कि 700 बीघा जमीन है और कई काम धंधे है। ऐसे में आज परिवार बहुत समृद्ध है साथ ही साथ परिवार के लोगों ने बताया कि पहले एक ही मकान था, जिसमें 30 कमरे थे। जब परिवार बढ़ा तो जगह कम पड़ने लगी। इसके बाद एक मकान और बनाया, जिसमें 15 कमरे थे। इसके बाद 12 कमरों, आठ कमरों, पांच कमरों व 4 कमरों का मकान और बने। इस प्रकार कुल छह मकानों में 84 कमरे हैं। वर्तमान में सभी लोग यहीं पर रहता है.
साथ ही साथ उन्होंने बताया की 11 चूल्हों पर बनती है 65 किलो आटे की रोटियां इतने बड़े परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था आसान नहीं है, लेकिन इसके लिए सब कुछ मुखिया की ओर से तय किया गया है। घर की रसोई में बने 11 चूल्हों पर भोजन तैयार होता है। सुबह के समय करीब 40 किलो आटे की रोटियां तैयार होती हैं। शाम के समय 25 किलो आटा खर्च होता है। इसके अलावा करीब 50 किलो सब्जियां दोनों टाइम तैयार होती हैं। सब्जी घर के लोगों की पसंद के अनुसार बनती है। वर्तमान में यह है कमाई का जरिया मोहनलाल बताते हैं कि शुरुआत में परिवार पूरी तरह खेती-बाड़ी व पशुपालन पर ही निर्भर था। जैसे-जैसे सदस्य बढ़े, काम-धंधे भी बढ़ते गए। पहले डेयरी खोली और फिर बिल्डिंग के मटेरियल को प्रोवाइड करवाने का काम शुरू किया। इसके बाद ए क्लास ठेकेदार भी बन गए ।
इसके अलावा ई-मित्र, बैंक पाइंट, सीमेंट बिक्री, चाली बल्ली, मोटरपार्ट्स का काम भी शुरू कर दिया। घर में छह ट्रेलर, आठ ट्रेक्टर व दो टैंकर भी हैं। इसके अलावा घर में एक प्राइवेट जॉब व पांच लोग सरकारी नौकरी में है ।खेती-बाड़ी भी करना आसान काम नहीं परिवार के पास 700 बीघा जमीन है। आठ ट्रैक्टर खेती बाड़ी में लगे हैं। घर की तरह खेत में भी बारी बारी से सबके काम तय किए जाते हैं। परिवार के लोगों का कहना है कि खेती बाड़ी के साथ पशुपालन भी करना पड़ता है, जॉइंट फैमिली होने के कारण सब आसानी से हो जाता है।रसोई पर 12 लाख, बच्चों पर 1 लाख का खर्चा परिवार के मुखिया मोहनलाल के छोटे भाई छोटूलाल ने बताया कि रसोई के लिए गेहूं, मक्का, बाजरा, जौ का इंतजाम खेतों से हो जाता है। दूसरे सामान की खरीद बाजार से की है। करीब 12 लाख रुपए महीने के राशन पर खर्च होते हैं। इसी प्रकार परिवार में साठ बच्चे हैं, जो रोजाना कुरकुरे, टॉफी, आइसक्रीम सहित अन्य चीजों की डिमांड करते हैं। इनका खर्चा भी रोजाना दो से तीन हजार यानी करीब एक लाख रुपए महीने का हो जाता है।
मुखिया के छोटे भाई छोटूलाल ने बताया कि महिलाएं सुबह चार बजे उठती हैं। झाड़ू-पोंछा करने के बाद करीब दस महिलाएं सुबह के खाने की तैयारी में जुटती हैं। बाकी महिलाएं खेती-बाड़ी, पशुपालन के काम में लग जाती हैं। करीब चालीस किलो आटा सुबह व पच्चीस किलो आटा शाम को लगता है। सुबह ज्यादा आटा इसलिए लगता है कि बच्चे तो दिनभर में कभी भी रोटी खा लेते हैं। 10 चूल्हों पर रोटी बनती है और एक चूल्हे पर अलग-अलग सब्जियां।थोक में आते हैं फल, घर पर हलवाई बनाता मिठाई मुखिया के ही छोटे भाई बिरदीचंद ने बताया कि घर में फल थोक में आते हैं। आम, अंगूर सबके कैरेट आते हैं। खरीदारी भी मंडी से करते हैं। इनकी मात्रा 100-50 किलो से कम नहीं होती । जिस दिन मिठाई खाने की इच्छा होती है तो हलवाई को बुलाते हैं और घर पर मिठाई तैयार की जाती है। साथ ही उन्होंने बताया की आजकल सब अलग रहना चाहते है पर आपको बता दे की संयुक्त परिवार से हर मुश्किल हो जाती है आसान घर की महिला आचुकी देवी ने बताया कि महिलाएं बारी-बारी से अपना काम करती हैं। सुबह चार-पांच बजे उठ जाती हैं। खाना बनाने वाली खाना बनाती हैं और खेती व पशुपालन का काम करने वाली अपना काम । कभी कोई परेशानी नहीं होती। जॉइंट फैमिली है तो कभी एक पर काम का भार भी नहीं पड़ता। सब मिलजुल कर कर लेते हैं। परिवार है तो छोटी-मोटी बातें होती हैं, लेकिन आपस में मिलजुल कर ही समस्या का समाधान कर लेते हैं।
ज्यादा दिन या देर तक कोई नाराजगी नहीं रहती । साथ ही आपको बता दे की इस परिवार को cm samanit कर चुके है क्यूँकि इन्होंने खेती में किए कई प्रयोग, परिवार के बिरदीचंद ने बताया कि खेती भी पारंपरिक तरीके से करने के बजाय हाइटेक तरीके से करते हैं। इसके लिए वे हरियाणा, पंजाब तक घूमकर आए, वहां देखा, उसे यहां करने का प्रयास किया। दूध डेयरी के लिए भी प्रयास किए। करीब आठ लाख रुपए माह का दूध होता है। बड़े भाई व छोटे भाइयों के साथ ज्यादा मुनाफा व ज्यादा उपज लेने के लिए कई प्रयोग किए।
2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व 2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बेहतर किसान का सम्मान दिया।सीसीटीवी से नजर, सोलर से बिजली परिवार के ही सत्येन्द्र माली ने बताया कि वे भले ही गांव में रहते हैं, लेकिन सुविधाएं शहर के मुताबिक है। हमने छह घर, दुकानों व अन्य जगह 40 से ज्यादा सीसीटीवी लगा रखे हैं। बिजली चली भी जाए तो हमारे यहां अंधेरा नहीं होता । सोलर सिस्टम भी लगा रखा है।सरपंच भी रहे, वार्ड पंच भी, चुनावों में अहम परिवार परिवार से एक महिला अनिता सरपंच रह चुकी हैं। वह 2016 से 2021 तक सरपंच रहीं। कई बार वार्ड पंच भी रह चुके हैं। इसी प्रकार छोटी देवी सीआर का चुनाव भाजपा से लड़ीं, लेकिन हार गई। इस परिवार में 125 वोटर है और ऐसे मेंगांव के विकास में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी अनिता देवी ने बताया कि जब वह दस साल पहले सरपंच बनी तो गांव के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह पांचवी पास थीं, लेकिन सड़क बनाई, हैंडपंप खुदवाए। गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं का फायदा देने के लिए हर वो प्रयास किया गया, जो जरूरी था। बाद में आरक्षित सीट होने के कारण उनके परिवार को मौका नहीं मिला। एक रिपोर्ट के अनुसार उनसे पूछे गए कुछ सवाल के के जवाब हम आपको बताना चाहेंगे|
उनसे एक सावल मे पूछा गया की एकजुट रहने का क्या फायदा-नुकसान?उनका जवाब परिवार के लोग एक साथ रहे तो नुकसान क्या हो सकता है, फायदे ही फायदे हैं। सब लोग अपना काम करते हैं, कमाते हैं। पैसा एक जगह आता है तो मैनेज अच्छे से हो जाता है। यही कारण है कि हमारे पिता के पास कुछ खास नहीं था। आज हमारे पास सबकुछ है। सुख दुख में साथ रहते हैं। एक व्यक्ति पर काम का बोझ नहीं पड़ता, सब मिलकर कर लेते है। उनका अगला जवाब सवाल- परिवार में कितनी पीढ़ी, कितने लोग?जवाब- हमारे पिता के हम छह भाई थे। छह भाइयों के 14 लड़के व छह लड़कियां हैं, सभी की शादियां हो चुकी है। बड़े भाई भंवरलाल के सुखदेव, भागचन्द, ब्रहमदेव व तेज लड़के व रसाल, मनोहर, पारसी, उससे छोटे रामचन्द्र के छीतर व कालु पुत्र तथा रामकन्या मेरे दो पुत्र पीरूलाल व चांदमल है। इसी प्रकार छगन लाल के पुत्र शिवराज, छोटूलाल के पुत्र शंकर, गजमल, भोलूराम व लड़की इन्द्रा, बिरदीचंद के रणजीत, गोपाल, व लड़की हीरा है। वर्तमान में हमारे यहां छह पीढ़ी हैं। तो यह थी पुरी जानकारी एक छोटे से गाव के बड़े से परिवार की खुशाल जिंदगी की.