आखिर पोर्न देखने से कैसे बढ़ते है अपराध

राजस्थान चौक मे हम आपके लिए लाये हैं एक ऐसी स्टोरी जो आज की युवा को पता होना बहुत जरूरी है आपको बताते है एकदम सामान्य से युवक की कहानी जो दिखने मे बहुत साधारण दिखता है मगर काम ऐसे कि रूह कांप जाए। कुछ-कुछ हॉलीवुड की साइकोथ्रिलर फिल्मों जैसा सिरफिरा हत्यारा । आज हम आपको बतायेंगे एक ऐसे व्यक्ति की स्टोरी जो शायद आपको अवेयर करने और गलत राह पर ना जाने के लिए प्रेरित करे चलिए बताते है रविंदर कुमार नाम का यह व्यक्ति बच्चों को अपना शिकार बनाता। दरिंदा मासूम वह हर दिन 40 किमी तक पैदल चलता कि शायद उसे कहीं कोई अपना शिकार मिल जाए। फिर वह उस बच्चे को टॉफी-चॉकलेट या पैसे देकर फुसलाता किसी सुनसान जगह ले आता और अपनी हवस पूरी करने के बाद उसका बेरहमी से कत्ल कर देता। हर बार वह शिकार करने से पहले गंदे वीडियो यानी पोर्न मूवी या गंदे वीडियो देखता। हत्यारे ने 2008 से लेकर 2015 के बीच में 2 साल से लेकर 12 साल तक के 30 बच्चों को अपना शिकार बनाया। आरोपी को हाल ही में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।ज्यादा पोर्न देखने से बॉडी में एक हॉर्मोन बिगाड़ता है आपको बता दे की एक किताब ‘द पोर्न सर्किट’ में अमेरिकी साइकोलॉजिस्ट सैम ब्लैक कहते हैं कि जब कोई अपराधी पोर्न देखता है तो उसके दिमाग में इमोशन के लिए जिम्मेदार डोपामाइन हॉर्मोन तेजी से निकलने लगता है।उसे इस तरह का कंटेंट देखने के बाद बहुत खुशी मिलती है। अगली बार वह और ज्यादा खुशी तलाशता है। चूंकि पोर्न रीयल नहीं होता तो उसे अब हकीकत में इस तरह के काम करने की इच्छा होती है। यहीं पर बॉडी में एक तरह से शॉर्ट सर्किट होता है और अपराधी अनुकूल माहौल मिलते ही उस काम को अंजाम देता है। धीरे-धीरे यही इच्छा हवस में तब्दील हो जाती है, उसे बार-बार ऐसे काम करने के लिए उकसाती है।


बार-बार पोर्न मूवी देखने का क्या असर होता है?


हमारी रिसर्च के अनुसार 2014 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, लगातार पोर्न देखते रहने से ब्रेन का खुशी महसूस करने वाला हिस्सा सिकुड़ जाता है। बर्लिन में कुछ वैज्ञानिकों ने 60 ऐसे पुरुषों पर अध्ययन किया, जो नियमित रूप पोर्न देखते थे। वैज्ञानिकों ने पाया कि उनके दिमाग का एक हिस्सा सिकुड़कर थोड़ा छोटा हो गया था। आपको बताये की पोर्न देखना नशे की लत जैसा है। ऐसे लोगों में कंपल्सिव सेक्शुअल बिहेवियर (CSB) देखने को मिलता है। यानी ऐसे लोगों के मन में हमेशा गंदे विचार आते रहते हैं, नौकरी, रिश्ते और जीवन के हर क्षेत्र में नकारात्मक असर पड़ता है। यह लत इतनी खराब हो जाती है कि व्यक्ति का अपने मन पर नियंत्रण नहीं रह जाता। एक रिसर्च के अनूसार हमे पाया की कुछ समय पहले 200 ऐसे पुरुषों पर अध्ययन किया जो रेगुलर पोर्न देखते थे। उन्होंने पाया कि ज्यादा पोर्न देखने वाले लोगों में महिलाओं को लेकर नकारात्मक और स्टीरियोटाइप सोच पनप जाती है।


पोर्न है न्यू ड्रग, सही और गलत में अंतर नहीं कर पाते लोग


पोर्न देखने से शरीर, दिमाग और मन तीनों पर असर पड़ता है। मैरीपीडिया पर छपी अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादा पोर्न देखने से व्यक्ति के दिमाग, शरीर और दिल पर असर पड़ता है। ऐसा कंटेंट देखने से व्यक्ति हकीकत से दूर जाने लगता है और कल्पनाओं की दुनिया में जीता है। यहीं से उनका हिंसक बर्ताव शुरू हो जाता । वे ऐसे तबके से आते हैं, जहां खुली सोच नहीं होती। वे महिला या बच्चे को सेक्स स्लेव समझने लगते हैं और उनकी भावनाओं की भी कद्र नहीं करते। ये बात उनकी समझ के बाहर होती है कि पोर्न में दिखाया जाने वाला कंटेंट गलत है और उसे सामान्य जीवन का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता। ऐसे लोगों में पोर्न एक्सीलरेटर का काम करता है जो उनकी अपराधी प्रवृत्ति को बढ़ाता है। अवसर मिलते ही वे अपनी गलत सोच को असल जिंदगी में उतारने की कोशिश करते हैं, जो धीरे-धीरे लत की शक्ल ले लेती है।


पोर्न या गंदे वीडियो देखने वालो पर क्या असर होता है?


दिमाग पर असर:
ऐसे लोगों के सेक्शुअल संबंध डगमगा जाते हैं। वो संबंध बनाने के दौरान असामान्य बर्ताव करते हैं। उनमें यौन आक्रामकता बढ़ती है जैसे, सिगरेट से जलाना, ब्लेड मारना या पीटना और यहां तक कि रेप की प्रवृत्ति बढ़ती हैं। ऐसे लोग महिलाओं और बच्चों को सेक्स ऑब्जेक्ट्स की तरह देखने लगते हैं।


शरीर पर असर:
ज्यादा पोर्न देखना नशे जैसी लत जैसा है। खुशी महसूस कराने वाला डोपामाइन हॉर्मोन ज्यादा निकलने लगता है। इससे नया और ज्यादा पोर्न देखने की चाहत बढ़ती है। इसे हकीकत में पूरा करने के लिए व्यक्ति सेक्स वर्कर के पास जाने लगता है। ऐसे लोगों में यौन रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।


दिल पर असर:
व्यक्ति के अंदर भावनाएं पूरी तरह खत्म हो जाती हैं। विवाहित व्यक्ति अपने यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट रहता है। पार्टनर को विश्वासघाती, भरोसा तोड़ने वाला समझने लगता है और बात-बात पर गुस्सा करने लगता है। कई बार यह तलाक की वजह भी बन जाता है।क्रोफिलिक भी होते हैं बच्चों का यौन शोषण करने वाले|


एक रिपोर्ट के अनुसार बच्चों का यौन शोषण करने वाले ज्यादातर सीरियल किलनेक्रोफिलिक भी होते हैं। यानी वो बच्चे का यौन शोषण करके उसे मार डालते हैं और फिर उसके शव के साथ भी रेप करते हैं। ऐसे लोग गरीबों के बच्चे और गांवों के बच्चों को निशाना बनाते हैं, क्योंकि वो उनके आसान शिकार होते हैं। ऐसे लोगों में पोर्न वीडियो देखने की टेंडेसी भी ज्यादा देखने को मिलती है। एक उदाहरण देते हुए बताये तो दहिया की टीम ने 2015 में रविंदर को छह साल की बच्ची की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। बीते 6 मई को दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया। उसे 2014 में एक छोटे बच्चे का यौन शोषण करने और उसे मारकर सेप्टिक टैंक में फेंक दिया था।ज्यादातर सीरियल किलर्स बचपन में यौन शोषण का शिकार होते है. ज्यादातर साइकोलॉजिस्ट का अभी यही मानना है कि सीरियल किलर पैदाइशी नहीं होते, वे परिस्थितियों और बचपन में किसी चोट, दुर्घटना या बुरे हादसे के शिकार हुए होते हैं। ज्यादातर सीरियल किलर वही बनते हैं, जिनका बचपन में यौन शोषण हुआ हो। खासकर किसी महिला ने उस बच्चे का यौन शोषण किया हो। ऐसे हत्यारे के लिए पोर्न कंटेंट उसके हिंसक बर्ताव को बढ़ा देता है।बेरहम हत्यारे का भी होता है कूलिंग ऑफ पीरियड अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (FBI) ने साइको किलर और सीरियल किलर पर स्टडी के बाद अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सीरियल किलर कई तरह की पर्सनालिटी डिसऑर्डर से जूझते हैं। उनमें साइकोपैथी और एंटी सोशल पर्सनालिटी पाई जाती है। ऐसा व्यक्ति नियमित अंतराल पर एक के बाद एक और कम से कम 3 या 4 हत्याएं करता है। सीरियल किलर का भी कूलिंग ऑफ पीरियड होता है, जिसमें वह कोई हत्या नहीं करता। ज्यादातर सीरियल किलर अपने दिमाग से जूझते रहते हैं और किसी को मारने के बाद इन्हें संतुष्टि महसूस होती है। इन्हें शिकार को यातना देकर मारने में मजा आता है।


सीरियल किलर होते हैं बेरहम और बददिमाग


एक रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर सीरियल किलर असामाजिक होते हैं। उनमें दया भाव नहीं होता और न ही वे किसी कानून को मानते हैं। वे दूसरे के अधिकारों का ख्याल भी नहीं करते। न ही उनमें पछतावे का भाव होता है। ऐसे लोग इतने बददिमाग होते हैं कि उन्हें लगता है कि वे जो कर रहे हैं, सही कर रहे हैं। ऐसे मे अधिकतर रेप का कारण भी हम पोर्न वीडियो का देखना कह सकते है|


राजस्थान चौक के लिए आकृति पंवार की रिपोर्ट

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

लेखक परिचय

Ankit Tiwari
Ankit Tiwarihttp://rajasthanchowk.com/
वर्ष 2003 से पत्रकारिता में। बिजनेस रिपोर्टिंग, उपभोक्ता अधिकारो, आम आदमी से जुड़े पहलुओं, उद्योग, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, टैक्स, ऊर्जा, बैंकिंग और कृषि सेक्‍टर पर विशेष पकड़।बिजनेस सेमीनार, बड़े आयोजनों सहित बहुजनहिताय के मुद्दों पर रिपोर्टिंग।
--advt--spot_img