आम्रपाली म्यूजियम अपनी स्थापना के पांच वर्ष का जश्न मना रहा है। आम्रपाली के संस्थापकों, राजीव अरोड़ा और राजेश अजमेरा की ओर से तैयार म्यूजियम, देश में आदिवासी और ग्रामीण आभूषणों का सबसे बड़ा संग्रहालय है। यह म्यूजियम भारत की सांस्कृतिक विरासत और हस्तशिल्प की झलक देता है। आम्रपाली म्यूजियम के पांच वर्ष पूरे होने पर विशेष समारोह का आयोजन हुआ।
देश विदेश की हस्तियों ने लिया भाग
हाउस ऑफ आम्रपालीकी ओर से आयोजित कला, संस्कृति, इतिहास एवं आभूषणों के इस मनमोहक समारोह में सांसद, लेखक और पूर्व अंतर्राष्ट्रीय सिविल सेवक, शशि थरूर ने भाग लिया। अन्य विशिष्ट अतिथियों में कला इतिहासकार और लेखिका, फेरोज़ा गोदरेज के साथ-साथ बैरी ओ’फारेल – ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त, हैंस जैकब फ्राइडनलंड, भारत में नॉर्वेजियन राजदूत जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया। इस सायंकालीन कार्यक्रम में विलियम डेलरिम्पल, दुर्जोय दत्ता, संजय रॉय और सना रिजवान जैसे प्रमुख लेखकों, उद्यमियों एवं वक्ताओं ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की।
800 आभूषण और दुर्लभ कलाकृतियां का केंद्र
जयपुर के बीचों-बीच स्थित, आम्रपाली म्यूजियम में 800 आभूषण, दुर्लभ कलाकृतियाँ और श्रृंगार की सामग्रियां मौजूद हैं, जो सदियों से भारत के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और कला की कहानी बयां करते हैं। देश की कला व संस्कृति को जानने के लिए आम्रपाली के संस्थापकों राजीव अरोड़ा और राजेश अजमेरा की अस्थायी खोज धीरे-धीरे कलात्मक वस्तुओं के संग्रह के आजीवन जुनून में बदल गई। दो मंजिलों में स्थित आम्रपाली म्यूजियम उनके इसी जुनून को दर्शाता है। इस संग्रहालय के भूतल पर शरीर के हर अंग के लिए भारत के लगभग हर क्षेत्र से साज-सज्जा व श्रंगार की वस्तुएँ, चांदी और सोने के आभूषणों को प्रदर्शन के लिए रखा गया है। इस संग्रह में जन्म से लेकर मृत्यु तक की रस्मों से जुड़े आभूषणों पर विशेष ध्यान दिया गया है। बेसमेंट में शानदार डिजाइन को प्रेरित करने वाले कई आभूषण मौजूद हैं जो भारतीय शिल्पकारों को समय के साथ उपलब्ध होते रहे हैं, जिन्हें इस संग्रह में आभूषणों तथा विभिन्न प्रकार की चांदी की वस्तुओं के माध्यम से देखा जा सकता है।