200 साल पहले आज ही के दिन 28 हजार मराठाओं पर भारी पड़े थे 800 महार

नए साल के आगाज के साथ आज का दिन कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। नए साल के जश्न में जहां पूरा देश डूबा हुआ है वहीं दूसरी ओर आज का दिन भीमा कोरेगांव युध्द के लिए भी जाना जाता है। जिसमें 28000 हजार मराठाओं पर महज 800 महार भारी पड़े थे। हर साल 1 जनवरी को भीमा कोरगांव ऐतिहासिक युध्द की वर्षगांठ मनाई जाती है।

भीमा कोरगांव के विजयस्तंभ में हर साल होने वाली इस रैली में बड़ी तादाद में दलित लोग शामिल होते है। जिसमें शामिल होने वाले दलितों की संख्या लाखों में होती है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार लाखों की तादाद में दलित इस रैली में शामिल होंगे।

बता दें कि पिछली साल हुई हिंसा के चलते इस बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है। इस बार यहां 7000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। वहीं इस रैली में ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे से भी नजर रखी जाएगी। गौरतलब है कि पिछले साल एक जनवरी को हुई रैली में हिंसा भड़क गई थी जिसमें एक युवक की मौत भी हो गई थी। इस हिंसा को देखते हुए इस बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है।

एक नजर इस ऐतिहासिक युध्द पर

यह युध्द 1 जनवरी 1818 को भीमा-कोरेगांव में अंग्रेजों की सेना और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुआ था। जिसमें ब्रिटिश सेना में मौजूद 800 महार सैनिकों ने युध्द के मैदान में पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28000 सैनिकों को मैदैन ए जंग में शिकस्त दी थी।

इस युध्द के बाद दलित वर्ग इस लड़ाई को उस वक्त के तथाकथित ऊंची जाति के लोगों पर अपनी जीत मानते है। तभी से हर साल 1 जनवरी को दलित नेता ब्रिटिश सेना की इस जीत का जश्न मनाते है।

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लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
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शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
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