चौक टीम, जयपुर। पर्यावरणीय मंजूरी लिए बिना ही टोंक जिले के बीसलपुर बांध से बीस सालों के लिए बजरी निकालने का काम एक परियोजना प्रस्तावक को देने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार को झटका दिया था। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और ERCP प्रोजेक्ट को बड़ी राहत देते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश पर रोक लगा दी है।
ERCP को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
दरअसल, राजस्थान सरकार और ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को आज सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है जहां प्रोजेक्ट पर रोक के NGT के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने का अंतरिम आदेश दिया है। राजस्थान सरकार की ओर से SG तुषार मेहता और AAG शिव मंगल शर्मा ने SC में पैरवी की जिस पर जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय करोल की वेकेशन बेंच ने आदेश जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।
राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि – ERCP को लेकर होने वाली एक्टिविटी कोई खनन कार्य नहीं है ऐसे में NGT की रोक गलत है, इसमें सिर्फ बजरी और गाद निकालने का काम होगा और ये जो रोक लगाई गई है ये NGT के क्षेत्राधिकार का मामला नहीं है। वहीं कोर्ट ने कहा है कि बांध से निकलने वाली गाद को कहां बेचा जाएगा इसके अकाउंट को सरकार मेंटेन रखेगी।
NGT ने क्या रोक लगाई थी?
मालूम हो कि NGT ने पर्यावरणीय मंजूरी लिए बिना बीसलपुर बांध से बजरी-गाद निकालने के राजस्थान सरकार के फैसले पर रोक लगाई थी। NGT ने बीते साल नवंबर में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना निगम लिमिटेड (ईआरसीपीसीएल- ERCPCL) को पर्यावरण मंजूरी लिए बिना टोंक जिले के बीसलपुर बांध से गाद निकालने, ड्रेजिंग, खनिज निष्कर्षण और निपटान करने से रोक दिया था। वहीं NGT ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन के मामले में आवश्यक उपाय उठाने के लिए कहा था>
आपको बता दें इस मामले में आरसीपीसीएल ने गाद निकालकर बीसलपुर बांध की भंडारण क्षमता के पुनरुद्धार के लिए ऑनलाइन बोलियां जारी की थी जिस पर जोधपुर के दिनेश बोथरा ने NGT में याचिका लगाई थी जिसमें बीसलपुर बांध पर 20 साल की अवधि के लिए रेत खनन के अनुबंध की निविदा को चुनौती दी गई थी।