चौक टीम, जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने भले ही हीटवेव को आपदा मानते हुए राज्य सरकार से मरने वालों को मुआवजा देने की बात कही है, लेकिन सरकार फिलहाल इससे पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रही है। आपदा प्रबंधन मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने शुक्रवार को कहा कि हीटवेव से मरने वालों के लिए आपदा राहत में मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है। मंत्री मीणा ने कहा कि वे शीतलहर और हीटवेव प्राकृतिक आपदा मानते हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री से मिलकर केंद्र सरकार को पत्र लिखवाएंगे कि हीटवेव को आपदा की गाइडलाइन में शामिल किया जाए। हीटवेव से मरने वालों को भी वैसे ही मुआवजा दिया जाए जैसे अन्य आपदाओं में मरने वालों को दिया जाता है।
इस मामले में राजनीति कर भ्रम फैला रहे- किरोड़ी लाल मीणा
डोटासरा के बयान पर किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि वे इस मामले में राजनीति कर भ्रम फैला रहे हैं। मरने वाले हर व्यक्ति का पोस्टमार्टम हो रहा है। किस वजह से उसकी मौत हुई है उसका कारण डॉक्टर लिख रहे हैं। तथ्य नहीं छुपाए जा रहे। किरोड़ी लाल मीणा का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग ने लू लगने से पांच लोगों की मौत होने का आंकड़ा जारी किया है। पोस्टमार्टम के बाद मौत के कारणों का पता चलेगा। राष्ट्रीय आपदा में हीटवेव में मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए हम आंकड़े छुपाएं तो क्यों छुपाएं। मैं मुख्यमंत्री से करूंगा बात। लू से हुई मौत पर मुआवजा मिलना चाहिए।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने यह भी कहा है कि भीषण गर्मी को देखते हुए हमने कुछ इंतजाम भी किए हैं। मनरेगा का समय बदला गया है। इसके साथ ही 70 फीसदी काम होने पर उसे 100 फीसदी मानते हुए पूरे काम का भुगतान करने का फैसला लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि सर्दी ज्यादा होती है तो हम रैन बसेरे लगाते हैं। उसी तरह से छाया, टेंट, पानी और अन्य डिहाइड्रेशन दूर करने वाले तरल पदार्थ की व्यवस्था करने के भी वे पक्षधर हैं। इसे लेकर भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बात करेंगे।
डोटासरा ने आंकड़े छुपाने का लगाया था आरोप
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि भीषण गर्मी और हीटवेव के प्रबंधन में विफल रही भाजपा सरकार अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद मृतकों को मुआवजा देने से बचने के लिए मौत के आंकड़े छिपाने का पाप कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि हीटवेव से मौतों के बाद करीब 40 अज्ञात लोगों के शव एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रखे हैं। हर दिन 20 से 25 अज्ञात लोगों के शव मोर्चरी में आ रहे हैं। लेकिन सरकार मुआवजा देने से बचने के लिए मौत के अलग-अलग कारण बताकर पोस्टमार्टम करके मामलों को निपटा रही है।