क्यों शुरू हो जाते हैं चुनाव से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर ?

चुनावी माहौल हर किसी के सिर चढ़ कर बोल रहा है। चुनाव आयोग ने राजस्थान सहित पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा छह अक्टूबर को कर दी थी। चुनावी मतदान की बात करें तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मिजोरम में मतदान हो चुका है और अब 7 दिसम्बर को राजस्थान में चुनाव होंगे। लगभग दो महीने से सभी लोग चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। सभी नेता चाहते हैं कि चुनावी भाषणों की मदद से वो जनता को वोट करने के लिए कैसे ना कैसे मना ही ले। आपको बता दें कि राजस्थान में प्रचार अभियान पांच दिसंबर की शाम तक चलेगा। लंबे समय से चल रही इन जनसभाओं, रैलियों व रोड शो से आपको ये तो अंदाजा लग ही गया होगा कि सभी नेता अपने भाषणों में किस तरह के शब्दों को उपयोग लेते हैं। रैलियों में नेता अक्सर ”नामदार-कामदार”, ”रागदरबारी-राजदरबारी”, ”चैकीदार चोर” जैसे शब्द शामिल हैं।

चुनावी गतिविधियों में रुचि रखने वाले लोग ना सिर्फ रैलियों, जनसभाओं में ही नजर आते है बल्कि सोशल मीडिया पर भी वो इन दिनों अपनी अपनी पार्टियों का समर्थन देते नजर आ रहें है। इस चुनावी दंगल में ये देखा जा रहा है कि लगभग सभी नेता पिछले दो महीने से एक जैसे नारे ही देते दिखाई दे रहे है जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में कांग्रेस नेताओं तथा समर्थकों को ”रागदरबारी और राजदरबारी” बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को नामदार और खुद को कामदार बताया था।

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी चुनाव के प्रचार प्रसार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर कई बार तीखा हमला किया है। उन्होंने राजस्थान में ही मोदी को ”चौकीदार चोर है” शब्द का प्रयोग किया था। राहुल अक्सर अपने भाषण में कम से कम एक बार ”देश का सबसे बड़ा घोटाला नोटबंदी” और ”गब्बर सिंह टैक्स-जीएसटी” का जिक्र जरूर करते नजर आते हैं। इसी तरह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी हर जनसभा में ”आलिया मालिया जमालिया” का जिक्र करते नजर आते हैं। इसी के साथ वो हर सभा में वह कांग्रेस अध्यक्ष को ”राहुल बाबा” कहकर बुलाते हैं. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह हर सभा में कांग्रेस को ”बिन दूल्हे की बारात” बताते हुए कहते दिखाई पड़ते हैं।

नेता चाहे किसी भी सरकार से हो और वो चाहे किसी भी पार्टी को सपाॅर्ट कर रहें हो, इस दौरान वो हर किसी के लिए कुछ ना कुछ नए शब्द जरूर इस्तेमाल करते नजर आते है। जहां तक रैलियों में जुटने वाली भीड़ का सवाल है वो अपने नेताओं के इन जाने माने शब्दों को अच्छे से पहचान चुकी है कि आखिर कौनसा शब्द किसा नेता ने कहा है। साथ ही जनता के सामने मोदी हों या राहुल गांधी, जनसैलाब हर किसी के लिए उमड़ता नजर आता है।

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लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
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शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
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