शरद पुरोहित,जयपुर। नवरात्र स्थापना के दिन राजस्थान के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच एक फर्जी ट्रांसफर आदेश ने खलबली मचा दी। इस आदेश के वायरल होते ही कर्मचारियों में ट्रांसफर की उम्मीदें जग गईं, लेकिन जल्द ही इसका सच सामने आ गया, जिससे उनकी सारी उम्मीदें धूमिल हो गईं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ फर्जी आदेश
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस फर्जी आदेश में बताया गया कि राजस्थान में 3 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफरों पर लगी रोक हटा दी गई है। आदेश में यह भी कहा गया कि ट्रांसफर की यह छूट निगमों, मंडलों, बोर्डों और स्वायत्त संस्थाओं के लिए भी लागू होगी।
प्रशासन ने फर्जी करार दिया आदेश
वायरल हुए इस आदेश की जांच करने पर यह पाया गया कि आदेश में कई विसंगतियां थीं। आदेश पर न तो पत्र क्रमांक था, न दिनांक का उल्लेख, और न ही सही हस्ताक्षर। प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय विभाग की सचिव उर्मिला राजोरिया ने स्पष्ट किया कि ट्रांसफर प्रतिबंध से संबंधित किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी गई है और वायरल आदेश को फर्जी करार दिया गया।
फर्जी आदेश से उठे सवाल
वायरल आदेश में शासन सचिव राजन विशाल के डिजिटल हस्ताक्षर थे, जबकि राजन विशाल का हाल ही में ट्रांसफर हो चुका है और उनकी जगह उर्मिला राजोरिया ने पदभार संभाल लिया है। इससे यह साफ हो गया कि आदेश फर्जी था और विभाग ने जनता से ऐसे फर्जी आदेशों पर भरोसा न करने की अपील की।
कर्मचारियों को फिर से आस
इस फर्जी आदेश के बाद कर्मचारियों में ट्रांसफर को लेकर उम्मीदें जागीं, लेकिन राजस्थान चौक के फैक्ट चेक से साफ हो गया कि ट्रांसफर प्रतिबंध अब भी लागू है। प्रशासनिक विभाग ने कर्मचारियों से अपील की है कि वे आधिकारिक सूचना के बिना किसी भी वायरल मैसेज पर भरोसा न करें।