केशव सेन, सवाई माधोपुर। जिले के खंडार विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक अशोक बैरवा के खिलाफ उनके पिता डालचंद बैरवा ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने फीडबैक लेने गए पर्यवेक्षक को चेतावनी दी कि बेटे को टिकट दिया तो विरोध करूंगा। पार्टी को हार का सामना करना पड़ेगा। बेटे के कारण मेरा परिवार टूट गया।
खंडार फोर्ट होटल में ब्लॉक स्तरीय मीटिंग में हुआ वाकया
बता दें बुधवार को शाम 4 बजे खंडार फोर्ट होटल में ब्लॉक स्तरीय मीटिंग थी। बैठक में कांग्रेस के विधानसभा पर्यवेक्षक चतरूलाल बागड़ा, जिलाध्यक्ष गिर्राज गुर्जर ब्लॉक अध्यक्ष युवराज चौधरी मौजूद थे। इस दौरान कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर फीडबैक लिया गया। पर्यवेक्षक ने विधायक अशोक बैरवा को दोबारा उम्मीदवार बनाने की बात कही तो कार्यकर्ता नाराज हो गए। लोगों का कहना था कि एक ही आदमी को टिकट देना सही नहीं है। इस बार परिवर्तन चाहिए। माहौल बिगड़ता देख कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन बातचीत की गई।
इस दौरान विधायक बैरवा के पिता डालचंद बैरवा भी पहुंच गए और बेटे को उम्मीदवार बनाने का विरोध करने लगे। पिता ने बेटे के की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए कहा- अशोक बैरवा को कैंडिडेट बनाया जाता है तो पार्टी को हार का सामना करना पड़ेगा। साथ ही खुली चेतावनी दी कि इसके बाद भी उम्मीदवार बनाते हैं तो अशोक बैरवा का विरोध करेंगे।
पिता बोले- विधायक बेटे की वजह से परिवार टूट गया
डालचंद बैरवा का कहना है कि मेरी उम्र करीब 80 साल है। मैंने बेटे को 5 बार चुनाव लड़वाया, दिन-रात प्रचार किया, मेरे से बेटा ढंग से बात तक नहीं करता। मेरे विधायक बेटे की वजह से परिवार टूट गया। उसका समाज और परिवार के साथ सही व्यवहार नहीं है। वह हमेशा अभद्र भाषा में बात करता है। इस बार पंचायत समिति चुनाव में भाजपा के भगवतगढ़ प्रत्याशी को जितवाया था। इसकी वजह से भी पर्यवेक्षक को टिकट नहीं देने की अपील की।
पिता-पुत्र का मकान आस-पास, लेकिन बातचीत नहीं
डालचंद बैरवा ने बताया कि उनका मकान खेरदा स्थित अंबेडकर नगर में है। उनके मकान के पास ही अशोक बैरवा का मकान है, लेकिन अशोक और उनके परिवार की दूसरे भाइयों व बेटों से बातचीत नहीं होती है। डालचंद ने बताया कि उसका व्यवहार सही नहीं है और मेरे दूसरे बेटे नहीं होते तो मैं वृद्धा आश्रम में रहता।अशोक बैरवा खंडार से तीन बार चुनाव जीते विधायक बैरवा ने साल 1998 में लेखाकार पद से वीआरएस लेकर पहला चुनाव लड़ा था। इसके बाद लगातार तीन बार खंडार से विधायक रहे। साल 2013 में भाजपा जितेंद्र गोठवाल से चुनाव हारे। इसके बाद साल 2018 में फिर से चुनाव जीते। अशोक बैरवा साल 2008 से 2013 तक कैबिनेट मंत्री भी रहे।
पर्यवेक्षक बोले- यह विधायक के परिवार का मामला
पर्यवेक्षक चतरू सिंह बागड़ा का कहना है कि ब्लॉक स्तरीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक में लोगों ने अपना पक्ष रखा है। खंडार विधायक के पिता ने अपने बेटे को टिकट देने पर नाराजगी जताई है। वहीं मामले में कांग्रेस जिलाध्यक्ष गिर्राज गुर्जर का कहना है कि यह विधायक के परिवार का मामला है। विधायक के पिता ने बेटे को टिकट देने का विरोध किया है।इधर, इस संबंध में जब अशोक बैरवा के दोनों नंबर पर कॉल किया तो संपर्क नहीं हो पाया।