संपर्क साहित्यिक संस्थान की ओर से कविता पाठ का आयोजन हुआ। संस्थान के पांच वर्ष पूरे होने पर समारोह आयोजित हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के अध्यक्ष डॉ अखिल शुक्ला, संस्थान की समन्वयक महासचिव रेनू शब्द मुखर, अध्यक्ष अनिल लढ़ा, संस्थान सचिव अविनाश शर्मा मौजूद रहे।
संस्थान की वरिष्ठ उपाध्यक्ष सवाईमाधोपुर निवासी डॉ आरती भदौरिया, मुम्बई निवासी डॉ नीतू तातेड़, अहमदाबाद निवासी शशि मुंदड़ा, उत्तराखंड निवासी दया भट्ट, पुणे निवासी आशा शर्मा मौजूद रही।
देशभर से कवि हुए शामिल
कार्यक्रम में देश के विभिन्न अंचलों से आई कवयित्रियों के द्वारा काव्य पाठ में श्रंगार, वीर रस, सामाजिक कार्यों, समाज की विसंगतियों, स्त्री की दशा व दिशा का चित्रण किया गया। समन्वयक महासचिव रेनू शब्द मुखर ने संपर्क साहित्य संस्थान की सफलतम 5 साल की यात्रा को सबसे साझा किया। अलवर निवासी नीलिमा कालरा ने मैं कुछ कहना चाहती हूं, कोटा से एकता शर्मा ने हम नववर्ष से मनाएं जब, डॉ. कमलेश वर्मा ने हर बात भूल जाऊं, डॉ आरती भदोरिया ने देखना जीत होती है किसकी सुनाकर तालियां बटोरी।
आगे की कार्ययोजना की साझा
डॉ. पारूल जैन ने चलो कुछ और बात करते हैं, डॉ रेखा गुप्ता ने कर्म बनाते हैं सदा लोगों की तकदीर, झालावाड़ निवासी मोना शुक्ला ने क्षमा ममता की मूरत,
खटीमा निवासी दया भट्ट ने संपर्क का आसमान चाहिए कविताओं का पाठ किया। डॉ नीतू तातेड़ ने लाल लिपिस्टिक को एक रंग मत मान लेना, हल्द्वानी निवासी ललिता कापड़ी ने एक कदम में चलूँ तो थोड़ा सा तुम भी चलना, बापी गुजरात की जीनस कंवर ने साहित्य मेरा कर्म है, के साथ ही ज्ञानवती सक्सेना ने मैं स्त्री हूँ जग जीतने के लिए अपने सपनो को वारती हु सुनाया। भूपेंद्र राणा ने गजल रंगत तेरी जुल्फों की, सीमा लोहिया ने मुझे नहीं चहिए, आशा शर्मा ने ज्योत से ज्योत जलाते चलो ने भी सब को रिझाया। आरती आचार्य ने यह कहानी है जो में सब से छुपाती हु के साथ ही मणिमाला शर्मा की कविता कौन जाने किसको खबर देनी पड़ेगी और शशि मूंदड़ा की कविता सम्यक सोच ने भी तालियां बटौरी। मुख्य अतिथि डॉ अखिल शुक्ला ने कविता को आत्मा का मर्म बताते हुए कहा की कविता दिल की होती है।