जोधपुर अनूठे विवाह का साक्षी बना। फ्रांस का जोड़े वैदिक रीति से विवाह के बंधन में बंधा। परिणय सूत्र में बंध सात फेरे दोनों ने लिए। एरिक और गाब्रिएल के इस गठबंधन की जबरदस्त चर्चा रही। स्थानीय रीति रिवाजों के साथ विदेशी जोड़े ने एक दूसरे के हाथ थामे।
मन को लुभाई सनातन संस्कृति
सनातन संस्कृति का परचम आज दुनिया मे लहरा रहा है । हर कोई इससे प्रभावित हो रहा है। विदेशो में रहने वाले लोग भी सनातन धर्म अपना कर जीवन की दिनचर्या को शामिल कर रहे हैं । सनातन धर्म आज विश्व मे अपनी पताका फहरारहा है। ऐसा ही नजारा जोधपुर में देखने को मिला शहर के एक रेस्टोरेंट हेरिटेज किचन में। जहां यूरोप के फ्रांस से आये कपल एरिक और गाब्रिएल ने अपना विवाह अग्नि को साक्षी मानकर किया।
वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सात फेरे
आचार्य पंडित राजेश दवे ने एरिक और गाब्रिएल की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सात फेरे की रस्म पूरी करवाई। दोनों ने जीवन के हर सुख दुःख में साथ निभाने की कसम ली। पंडित दवे ने उन्हें मंगलसूत्र, मांग भरना, हथलेवा, मामा सेवरा कन्यादान जैसी सभी रिवाज से अवगत कराया और उनका महत्व भी बताया।
एरिक को लुभाई राजशाही अचकन
दुल्हा बने फ्रांस के एरिक घोड़ी पर सवार होकर राजशाही अचकन पहन सर पर साफा और उस पर मोड़ कलँगी तुरा लगा दुल्हन के द्वार आकर तोरण मारा। रेस्टोरेंट संचालक उदयसिंह चौहान ने बताया कि दुल्हन बनी गाब्रिएल ने लाल सुर्ख रंग की बरी पहन सोलह श्रृंगार कर हिन्दू रीति रिवाजों के साथ मण्डप में बैठ कर फेरे लिए। फेरो के बाद वरमाला करते हुए हँसी ठिठोली भी करते हुए महिलाओं ने ननद भाभी के नेकचार किए गए। गाइड भुजपाल सिंह ने बताया कि एरिक अपनी पत्नी के साथ लम्बे समय से भारत व राजस्थान आ रहे हैं उनको यहा की कला संस्कृति और अपनायत से गहरा लगाव है। उनको राजस्थान के खास राजपूताने का पहनावा शेरवानी अचकन बंदगला कोट काफी पसंद है।
मंगल गीतों के साथ बंधे बंधन में
पत्नी गाब्रिएल को भी राजस्थान की महिलाओं के रंग बिरंगा पहनावा बहुत पसन्द है।
राजपूती पोशाके पहनी महिलाओं ने मंगल गीत गाए। दूल्हे एरिक के तोरण द्वार पर आते ही गाइड और आयोजक मण्डल की परिवार सदस्य महिलाओ ने मंगलगीत गाकर दूल्हे के स्वागत में मारवाड़ की परम्परागत गालिया गाई गई। साथ ही फेरो के समय भी गीत गाये गए। जिसे देख दुल्हन के फ्रांस से आये परिवार ने बहुत एन्जॉय किया।