चौक टीम, जयपुर। राजस्थान के पूर्व सीएम और कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता अशोक गहलोत का फिर से बड़ा बयान सामने आया है। अशोक गहलोत के इस बयान के साथ ही राजस्थान में फिर से सियासी चर्चाएं तेज हो गई। इस बार अशोक गहलोत ने पेयजल मंत्री को टारगेट में लिया है। उन्होंने कहा कि पेयजल मंत्री इस परिस्थिति में जनता को राहत पहुंचाने की क्षमता नहीं रखते तो उन्हें मुख्यमंत्री जी से अपने विभाग में बदलाव करने का निवेदन कर किसी जिम्मेदार व्यक्ति को काम करने देना चाहिए।
पेयजल मंत्री के बयान पर पूर्व सीएम अशोक का पलटवार
दरअसल, पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी पर निशाना साधाते हुए अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि, राजस्थान सरकार के पेयजल मंत्री का बयान बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण एवं पानी की किल्लत से परेशान जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाला है। एक मंत्री द्वारा ऐसी भाषा इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता।
राजस्थान में जल संकट हर गर्मियों में आता है परन्तु पहले से प्लानिंग कर इसे आसानी से हल किया जा सकता है। छह महीने से सरकार में होने के बावजूद कोई योजना नहीं बनाई गई इसलिए ऐसी परिस्थिति बनी एवं अब पेयजल मंत्री गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी कर रहे हैं। यदि पेयजल मंत्री इस परिस्थिति में जनता को राहत पहुंचाने की क्षमता नहीं रखते तो उन्हें मुख्यमंत्री जी से अपने विभाग में बदलाव करने का निवेदन कर किसी जिम्मेदार व्यक्ति को काम करने देना चाहिए।
पेयजल और बिजली संकट में राज्य सरकार, PHED विभाग, बिजली विभाग, जिला प्रशासन, नगरीय एवं पंचायतीराज निकाय सभी की जिम्मेदारी थी कि पहले से योजना बनाई जाती एवं आकस्मिक परिस्थितियों से भी निपटने की तैयारी की जाती। ऐसा समय पर नहीं किया गया इसलिए जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है पर सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री जी को पेयजल एवं बिजली संकट पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा करनी चाहिए एवं इसका हल निकाला जाना चाहिए।
जलदाय मंत्री ने दिया था ये बयान
बता दें हाल ही में जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने कहा था- मैं फूंक मारकर, बालाजी बनकर पानी ला दूं, यह संभव नहीं है। भगवान से प्रार्थन करों। समय से पहले बारिश आ जाए। जहां-जहां पानी की डिमांड आएगी। वहां जरूरत के अनुसार पानी सप्लाई किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पेयजल समस्या की जो शिकायतें आई हैं, उनमें से कई शिकायतों का निस्तारण किया गया है, लेकिन शत प्रतिशत निस्तारण कोई नहीं कर सकता है।