बजट चाहे केंद्र का हो या राज्य का। हर आम व ख़ास को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। हर वर्ग के लिए बजट के मायने अलग होते हैं । कुछ को राहत की उम्मीद होती है, तो किसी को क़ानूनी प्रक्रियाओं के सरलीकरण की तो किसी को कर कटौती व कर छूट की तो किसी को सब्सिडी, ऋणों के सस्ते होने, कर विसंगतियों के निराकरण की। 2023-24 का केन्द्रीय बजट का भी बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार था स्टेकहोल्डर्स को, क्योंकि मोदी 2.0 का आख़िरी पूर्ण बजट है।
आइएं जानते हैं सीए सीएल यादव की रिपोर्ट से कि कैसा रहा आम बजट?
संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट वाले बस्ते किसके लिए क्या निकला। यह जन आकांक्षाओं पर कितना खरा उतरेगा? किस वर्ग को निराश करेगा? ये सब समय की कसौटी पर कसे जाने है लेकिन तात्कालिक रिएक्शन के तौर पर सरकार , वित्त मंत्री सरकार समर्थको का कहना है कि अगले 25 साल का ब्ल्यू प्रिन्ट है जबकि शेयर बाज़ार व अन्य स्टेक होल्डर्स को निराशा ही मिली है।
आयकर में नई कर रिजिम में कर मुक्त आय की सीमा को 2.5 लाख रुपये बढ़ाकर 3.0 लाख रुपये करने के साथ ही कर स्लैबस् में भी बदलाव किया गया है के साथ ही पुरानी कर रिजिम से ज़्यादा आकर्षक बनाने के लिए धारा 87A की कटौती को 12500 रूपये ( जो पुरानी रिजिम का चुनाव करने वालों के लिए यथावत रहेगी) से बढ़ाकर 25000 रूपये कर दिया गया है । दुसरा बदलाव जो नई कर रिजिम को आकर्षित करता है वो है वेतन आय वालों को इस बजट में 50000 रूपये की स्टेंडर्ड डिडक्शन का फ़ायदा अतिरिक्त दिया गया है।
कुछ शर्तों के अधीन सहकारी समितियों के लिए धारा 115बीएडी के तहत कर दर 15 प्रतिशत होगी वहीं छोटे व्यापारियों को जिनका टर्नऑवर 3 करोड़ तक का है व खर्च का 5% से ज़्यादा भुगतान नहीं करते हैं तो वो आयकर दाता प्रिज्यूम्पटिव टेक्स सिस्टम के तहत बिना ऑडिट करवाये आयकर विवरणों दाखिल कर सरता है । इन कुछ सकारात्मक बदलावों के अलावा 100 से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं जो कहीं न कहीं करदाताओं के लिए कम्पलाइन्स बर्डन को बंढाने के साथ सरकार की ‘ईज ऑफ डुईंग बिज़नेस’की नीति पर सवाल भी खड़ा करता है।
बजट में कस्टम ड्यूटी कटौती को लेकर वित्त मंत्री काफ़ी सकारात्मक दिखी। क्या कस्टम ड्यूटी की दरों में कटौती देश के निर्माण व उत्पादन उधोग को विपरीत प्रभावित नहीं करेगी ? क्या सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ को भुलाते हुए ‘आयातनिर्भर भारत’ के ‘ब्ल्यू प्रिन्ट’ पर काम कर रही है?
मोदी सरकार राजकोषीय घाटे के नियन्त्रण व क़र्ज़ भार को कम रखने के दावे तो बहुत करती है लेकिन न राजकोषीय घाटा नियंत्रित हो पा रहा है व न ही बढ़ता क़र्ज़। बजट वर्ष 2023-24 का राजकोषीय घाटा रूपये 1786816 करोड़ रूपये (जीडीपी का 5.9% ) वहीं मार्च 2024 देश पर कुल क़र्ज़ 1685545 करोड़ बढ़कर 16946667 करोड़ रूपये क़रीब हो जायेगा, जो चिन्तनीय है । इसकी के साथ बढ़ता ब्याज का भार नई चिन्ता का कारण बन रहा है । 2023-24 के लिए अनुमानित ब्याज की राशि 10.99 लाख करोड़ है। जो कुल कर आय का 47 प्रतिशत है ।
बजट में चुनाव को ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को प्राथमिकता देते हुए 2021-22 के 1620 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़ाकर 94678 करोड़ रूपये अनुमानित किया है लेकिन ग्रामीण रोज़गार की महत्वपूर्ण योजना के बजट को 73000 करोड़ रूपये से घटाकर 60000 करोड़ व कृषि बजट को 122137 रूपये से कम करके 115378 करोड़ रुपये अनुमानित किया गया।
औघोगिक विकास पर भी ध्यान दिया गया है लेकिन ग्रामीण व लघु उद्योगों को ख़ास तवज्जो नहीं दी गई है ।
बजट भाषण में 10 लाख करोड़ रुपये के पूँजीगत खर्च की बात की है लेकिन अधिकांश राशी सिर्फ़ रोड व रेलवे को ही अलोकेट की गई है तो क्या इन परिस्थितियों में सुदृढ़, सत्तत व सन्तुलित विकास कितना यथार्थ में हो पायेगा समय ही बतायेगा।
इस प्रकार यदि मैक्रो लेवल पर देखें तो बजट निराश करने वाला, नीतियों में भटकाव वाला व दिशाहीन ही नज़र आता हैं।
वित्तमंत्री सीतारमन का यह पाँचवा बजट और मोदी सरकार का यह नौवाँ बजट देश के विकास को गति देने वाला बजट है। इस बजट में मध्यम वर्ग को विशेष लाभ पहुँचाने के लिए व्यक्तिगत आयकर में राहत दी गई है – 7 लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्तियों को नई कर व्यवस्था में कोई आयकर नहीं चुकाना पड़ेगा। साथ ही कर छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया गया है। करदाताओं की सुविधा के लिए कॉमन आईटीआर फॉर्म लाया जाएगा। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विशेष बचत योजना की घोषणा की गई है। यह बजट बच्चों की शिक्षा, मध्यम वर्ग की आय, महिला बचत पर बल देने वाला बजट है।
टैक्स कम देने के कारण ज़्यादा बचत होगी और कैश फ्लो को बढ़ावा मिलेगा जिससे आम आदमी की परचेजिंग पॉवर बढ़ेगी, तो ज़ायदा खर्चा करेगा और नगद बाज़ार में आयेगा इससे अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी।
नोट:- यह लेखक के निजी विचार है।