राजस्थान यूनिवर्सिटी में फिर निर्दलीय उम्मीदवार को मिली जीत, चार में से तीन पद पर जीती छात्राएं

जयपुर: प्रदेश की सबसे बड़े विश्वविधालय राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में एक बार फिर से निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मार ली है. निर्दलीय उम्मीदवार पूजा वर्मा ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल कर ली है. विश्वविधालय में लगातार चोथी बार किसी निर्दलीए उम्मीदवार ने चुनाव जीता है. निर्दलीय उम्मीदवार पूजा वर्मा के कैंपस का अध्यक्ष बनने के साथ ही एक बात पर मुहर लग गई कि यूनिवर्सिटी के छात्र अब जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर मतदान करने का फैसला कर चुके हैं. इतना ही नहीं जाति कार्ड खेलने वाले छात्र संगठनों का वर्चस्व भी अब कैंपस में कमजोर होने लगा है. बता दें कि पूजा वर्मा ने एनएसयूआई से बागी होकर छात्रसंघ चुनाव में निर्दलीय लड़ने का फैसला लिया था.

बता दें कि प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में शुमार राजस्थान विश्वविद्यालय में लगातार तीन साल से अध्यक्ष पद पर निर्दलीय उम्मीदवार ही जीत हासल कर रहे थे. पिछले तीन सालों से बीजेपी और कांग्रेस के स्टूडेंट विंग एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों को करारी हार का सामना करना पड़ा था. साल 2016 और 2017 में जहां एबीवीपी के निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल कर अपने संगठन को धूल चटाई थी. वहीं साल 2018 में एनएसयूआई के बागी विनोद जाखड़ ने जीत हासिल कर अपने ही संगठन को पटखनी दी थी.

इन चार उम्मीदवारों के सर पर सजा ताज
अध्यक्ष पद पर पूजा वर्मा ने तो उपाध्यक्ष पद पर प्रियंका मीणा ने बाजी मारी. महासचिव पद के चुनाव में जीत महावीर गुर्जर को मिली तो संयुक्त सचिव के पद पर किरण मीणा विजयी हुई. कैंपस के चुनाव में युवाओं ने जातिगत समीकरणों को सिरे से खारिज कर अपना मेंडेट दिया है. बता दें कि अध्यक्ष पद पर कुल 4 उम्मीदवार ताल ठोक रहे थे.

टिकट वितरण के समय लग रहा था कि मुकाबला इस बार दोनों छात्र संगठनों के बीच होगा. लेकिन वोटिंग के दिन नजदीक आते आते यह समीकरण अब बागियों के दमखम पर टिक गए थे. अध्यक्ष पद पर बात करें तो अध्यक्ष पद पर पांच प्रत्याशी थे. हालांकि मुकाबले में तीन प्रत्याशी आगे दिख रहे थे. जिसमें एबीवीपी के अमित बडबडवाल और एनएसयूआई के उत्तम चौधरी को एनएसयूआई की बागी प्रत्याशी पूजा वर्मा चुनौती देते दिख रही थीं. इस बीच खबरे आ रही थी कि एनएसयूआई के बागी मुकेश चौधरी भी वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते हैं.

राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में यूं तो सभी अपनी जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में एक बार फिर से त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर बनती हुई नजर आ रही थी. गौरलतब है कि पिछले तीन छात्रसंघ चुनाव में बागियों ने ही जीत का परचम लहराया था. इस बार भी एनएसयूआई की बागी प्रत्याशी पूजा वर्मा ने चुनाव को रोचक और त्रिकोणीय बना दिया था.

वहीं महासचिव पद की बात करें तो इस पद पर सात प्रत्याशी मैदान में थे. उपाध्यक्ष पद पर तीन प्रत्याशी थे, जिनमें एबीवीपी के दीपक कुमार, एनएसयूआई की कोमल मीणा और एसएफआई की कोमल बुरडक के बीच मुकाबला था. संयुक्त सचिव पद का भी कुछ ऐसा ही हाल है. एनएसयूआई की लक्ष्मी प्रताप खंगारोत औऱ एबीवीपी की किरण मीणा चुनावी मैदान में थे. वहीं अशोक चौधरी भी इस पद पर चुनाव लड रहे थे, लेकिन मुकाबला दोनों संगठनों के बीच लग रहा था.

इस बीच महासचिव पद की बात करें तो यहां पर भी संगठनों के बागी मुकाबले को रोचक बना दिया था. एबीवीपी के बागी नीतिन शर्मा इस मुकाबले में थे. वहीं राजेश चौधरी ने मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया था. यहां पर एनएसयूआई के महावीर गुर्जर और एबीवीपी के अरूण शर्मा मैदान में थे, जबकि एबीवीपी के बागी नीतिन शर्मा मुकाबले में संगठन के प्रत्याशियों को चैलेंज करते दिख रहे थे.

लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
Dr Sharad Purohithttps://x.com/DrSharadPurohit
शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
--advt--spot_img