बड़ी पार्टियों की हार-जीत का गणित बिगाड़ सकते है निर्दलीय उम्मीदवार

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राजस्थान में 7 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव शुरू होने में अब 24 घंटे से भी कम समय बचा है. प्रचार का दौर बुधवार शाम 5 बजे ही थम चुका है और अब प्रत्याशी घर घर जाकर जनसंपर्क के माध्यम से लोगों को उनके पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे है. पिछले 2 हफ़्तों से राज्य में डेरा डाले लगभग सभी पार्टियों के स्टार प्रचारक भी वापिस जा चुके है. राज्य की 200 में से 199 सीटों पर एक ही चरण में मतदान होगा जबकि एक सीट पर मतदान प्रत्याशी के निधन की वजह से स्थगित किया गया है.

इस चुनाव में जहाँ दोनों बड़ी पार्टियाँ भाजपा और कांग्रेस अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे है वहीं हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी और घनश्याम तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी भी सत्ता में शामिल होने का दावा ठोक रहे है. इसके अलावा हर बार की तरह इस बार भी कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावों में अपना भाग्य आजमा रहे है. इस बार कुल 2294 प्रत्याशियों में से 893 उम्मीदवार निर्दलीय है जो कि बड़ी पार्टियों की हार-जीत का गणित बिगाड़ सकते है.

1951 से 2013 तक हुए चुनाव में हर बार निर्दलीय प्रत्याशियों को कुछ सीटों पर जीत मिली है जिसमें सबसे ज्यादा 35 निर्दलीय प्रत्याशी 1951 के चुनाव में जीते थे जबकि  1977 में सबसे कम सिर्फ 5 निर्दलीय प्रत्याशियों को ही जीत नसीब हुई है.

वर्ष विजयी निर्दलीय वर्ष विजयी निर्दलीय
1951 35 1985 10
1957 32 1990 09
1962 22 1993 21
1969 16 1998 07
1972 11 2003 13
1977 05 2008 14
1980 12 2013 07

 

अगर राज्य में 2013 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो उस दौरान कुल 758 निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हुए थे जिसमें से सिर्फ 7 प्रत्याशियों को जीत मिली है. इस बार लड़ रहे 893 निर्दलीय उम्मीदवारों में से कितने उम्मीदवारों को जीत मिलती है यह तो 11 दिसम्बर को आने वाले नतीजों से पता चलेगा.

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