शरद पुरोहित, जयपुर। जयपुर में विश्व प्रसिद्ध जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) का 18वां संस्करण 30 जनवरी से 3 फरवरी 2025 तक होटल क्लार्क्स आमेर में आयोजित किया जा रहा है। यह उत्सव साहित्य प्रेमियों और लेखकों का सबसे बड़ा मंच माना जाता है, जिसमें दुनियाभर से 600 से अधिक वक्ता शामिल हो रहे हैं।
जावेद अख्तर की ‘सीपियां’ का विमोचन
फेस्टिवल के पहले दिन, हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार और साहित्यकार जावेद अख्तर की नई किताब ‘सीपियां’ का विमोचन किया गया। यह किताब दोहों पर आधारित है और इसका विमोचन लेखिका सुधा मूर्ति ने किया। इस दौरान जावेद अख्तर ने मातृभाषा से जुड़े रहने की अहमियत पर जोर दिया और युवाओं को हिंदी के साथ अपना संबंध मजबूत करने की सलाह दी।
मातृभाषा से नाता टूटना पेड़ की जड़ें काटने जैसा
सुधा मूर्ति ने कहा कि आज की पीढ़ी को अंग्रेजी सीखनी चाहिए, लेकिन अपनी मातृभाषा से भी जुड़े रहना बेहद जरूरी है। उन्होंने इसे समझाते हुए कहा—
“अगर आप अपनी मातृभाषा से नहीं जुड़े हैं, तो यह मान लीजिए कि आपने पेड़ को तना और शाखाएं तो दे दी हैं, लेकिन जड़ों से वंचित कर दिया है।”
राम-रहीम के दोहों पर चर्चा और जावेद अख्तर का मज़ेदार जवाब
कार्यक्रम में जावेद अख्तर ने संत रहीम दास के एक प्रसिद्ध दोहे का उल्लेख किया—
“रहिमन मुश्किल आ पड़ी, टेढ़े दोऊ काम…
सीधे से जग न मिले, उलटे मिले न राम।”
इसी दौरान अभिनेता अतुल तिवारी ने मजाकिया लहजे में कहा, “राम की बात एक मुस्लिम कवि कह रहा है, यह बड़ी बात है।” इस पर जावेद अख्तर ने हंसते हुए जवाब दिया—
“भाई, कवि, कवि होता है। बेचारे जो शायरी नहीं कर पाते, वो लोग हिंदू-मुसलमान होते हैं।”
उनके इस जवाब पर पूरी महफिल ठहाकों से गूंज उठी। उन्होंने आगे कहा कि कविता तो प्यार की भाषा होती है, जो किसी धर्म-जाति में बंधी नहीं होती।
तारीफ वही कर सकता है, जिसे खुद पर भरोसा हो
कार्यक्रम में जब अकबर और रहमान पर चर्चा हुई, तो जावेद अख्तर ने कहा—
“जिसे खुद पर भरोसा नहीं, वह दूसरे की तारीफ नहीं कर सकता। तारीफ वही कर सकता है, जिसके मन में शांति हो।”
JLF 2025: एक वैश्विक साहित्यिक संगम
इस वर्ष के JLF में कई मशहूर किताबों के विमोचन और साहित्यिक चर्चाएं हो रही हैं। दुनियाभर के लेखक, कवि, विचारक और कलाकार इस मंच पर आ रहे हैं, जिससे यह उत्सव साहित्य प्रेमियों के लिए किसी महाकुंभ से कम नहीं।