शरद पुरोहित,जयपुर। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को सवाई माधोपुर से कोटा के बीच 108 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक पर ‘कवच 4.0’ टेक्नोलॉजी का ट्रायल देखा। इस सफर के दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि रेलवे को 100 प्रतिशत सुरक्षित बनाने के लिए कवच 4.0 जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
कवच 4.0 क्या है और कैसे काम करता है?
कवच 4.0 एक अत्याधुनिक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी है। इसके जरिए लोको पायलट ट्रेन के इंजन में बैठे-बैठे ही 7 किलोमीटर दूर के सिग्नल की स्थिति का पता लगा सकता है। कवच की मदद से ट्रेन की स्पीड को स्वतः नियंत्रित किया जा सकता है। अगर कोई खतरा नजर आता है, जैसे कि रेड सिग्नल के पास ट्रेन जा रही हो, तो कवच ट्रेन को रोकने के लिए ब्रेक लगा देगा।
कवच 4.0 में नए अपडेट
कवच 4.0 को भारत की भौगोलिक विविधता जैसे पहाड़, जंगल, और रेगिस्तान को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इस टेक्नोलॉजी में पहले से ज्यादा अपडेट और फीचर्स जोड़े गए हैं, जिससे लोको पायलट को और ज्यादा सुविधा मिल सके। अगर ट्रेन के सामने 2 किलोमीटर के बाद रेड सिग्नल आता है, तो कवच पहले से ही पायलट को सचेत करेगा और जरूरत पड़ने पर खुद ही ट्रेन की स्पीड कम कर देगा।
ट्रेन दुर्घटनाओं में कमी
रेल मंत्री ने बताया कि UPA सरकार के समय हर साल 171 रेल हादसे होते थे। लेकिन अब यह संख्या घटकर बहुत कम हो गई है। वर्ष 2023 में सिर्फ 20 हादसे हुए, जो रेलवे की सुरक्षा में सुधार का प्रमाण है। कवच 4.0 जैसी टेक्नोलॉजी से यह संख्या और भी कम होने की उम्मीद है।
लोको पायलट का अनुभव
इस ट्रायल के दौरान एक लोको पायलट ने बताया कि कवच के सात ट्रायल किए गए और सभी सफल रहे। जब एक रेड सिग्नल पर लोको पायलट ने ब्रेक नहीं लगाया, तो कवच ने स्वतः ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया, जिससे यह सिद्ध हो गया कि कवच दुर्घटनाओं को रोकने में पूरी तरह सक्षम है।