इन सीटों पर ‘नोटा’ को मिले जीत के अंतर से भी ज्यादा वोट

राजस्थान में 7 दिसम्बर को हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेसको भारी अंतर से जीत मिली है और राज्य में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बन रहीहै। 199 सीटों पर हुए मतदान मेंकांग्रेस को 99 सीटों पर जबकिभाजपा को 73 सीटों पर जीत मिली है।अगर उम्मीदवारों को मिले वोटों की बात करें तो कई जगहों पर प्रत्याशियों कीहार-जीत का अंतर ‘नोटा’ से भी कम रहा है। प्रदेश में इस बार कुल 11 ऐसी सीटें थी जहाँ पर जीत-हार का अंतर नोटा सेकम था।

विधानसभा सीट जीते जीत का अंतर नोटा
चुरू राजेंद्र राठौड़ 1850 1816
मालवीय नगर कालीचरण सर्राफ 1704 2371
बेंगू राजेंद्र विधूड़ी 1661 3165
चौमूं रामलाल 1288 1859
मकराना रूपाराम 1188 1550
खेतड़ी जितेंद्र सिंह 957 1377
दांतारामगढ़ वीरेंद्र सिंह 920 1180
फतेहपुर हाकम खान 860 1165
पोकरण सालेह मोहम्मद 872 1121
पीलीबंगा धर्मेंद्र 278 2441
आसींद जब्बर सिंह 151 2943
मारवाड़ जंक्शन खुशवीर सिंह 251 2719

अगर देखा जाए तोमतदाताओं द्वारा ‘नोटा’ बटन दबाने से दोनों हीमुख्य पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस को 7-8 सीटों का फायदाहुआ है। राजस्थान में हुए मतदान में कुल प्रतिशत का 1.3 प्रतिशत वोट नोटा को गया जो कि आम आदमी पार्टीऔर राष्टीय लोक दल जैसी पार्टियों को मिले 0.4 प्रतिशत मतों सेभी ज्यादा है।

अगर नोटा की बात करें तो राज्य में पिछली बार हुए चुनाव में कुल 5 लाख 89 हजार 923 मतदाताओं ने ‘नोटा’ पर अपना वोट दिया था जबकि इस बार 4 लाख 67 हजार 785 लोगों ने नोटा बटन दबाया है। इस तरह देखा जाए तो इस बार नोटा बटन दबाने वालों की संख्या में 1 लाख 22 हजार 147 की कमी हुई है।

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लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
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शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
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