चौक टीम, जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्धघाटन किया। इससे पहले उन्होंने कैंपस में मौजूद खंडहरों का निरीक्षण किया। नया परिसर नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों के पास है, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के माध्यम से स्थापित किया गया था। यह अधिनियम 2007 में फिलीपींस में दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय का पालन करता है।
नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन इतिहास
मूल रूप से पांचवीं शताब्दी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय, दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित करने वाला एक प्रसिद्ध संस्थान था। यह 12वीं शताब्दी में नष्ट होने तक 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा। आधुनिक विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान से परिचालन शुरू किया। नए परिसर का निर्माण 2017 में शुरू हुआ।
नालंदा विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों का केंद्र है
नालंदा विश्वविद्यालय को ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, चीन, इंडोनेशिया और थाईलैंड सहित 17 अन्य देशों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। 2022-24 और 2023-25 के लिए स्नातकोत्तर कार्यक्रमों और 2023-27 के पीएचडी कार्यक्रम में नामांकित अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, कंबोडिया, घाना, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, श्रीलंका, अमेरिका और जिम्बाब्वे के छात्र शामिल हैं।
शपथ ग्रहण के 10 दिनों में ही नालंदा पहुंचे पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मुझे तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण करने के बाद पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है। यह मेरा सौभाग्य तो है ही, मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा केवल एक नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है। नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं बिहार के लोगों को भी बधाई देता हूं। बिहार अपने गौरव को वापस लाने के लिए जिस तरह विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, नालंदा का ये परिसर उसी की एक प्रेरणा है।
नालंदा से एशिया के कई देशों की जुड़ी है विरासत
नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है। इसमें विश्व के, एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है। नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भी रही है। मैं इस अवसर पर भारत के सभी मित्र देशों का अभिनंदन करता हूं। अपने प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का नवजागरण। ये नया कैंपस, विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा। जो राष्ट्र, मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं… वो राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित करके बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं।
कई देशों के छात्र आ रहे हैं पढ़ने- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि नालंदा कभी भारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था… शिक्षा को लेकर यही भारत की सोच रही है…शिक्षा ही हमें गढ़ती है, विचार देती है और उसे आकार देती है। प्राचीन नालंदा में बच्चों का प्रवेश उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देख कर नहीं होता था। हर देश हर वर्ग के युवा हैं यहां पर। नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए परिसर में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है और मुझे ये देख कर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से आज यहां कई विद्यार्थी आने लगे हैं।