शरद पुरोहित,जयपुर। राजस्थान में 13 नवंबर को 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने मंगलवार को इन सीटों पर चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। इन सीटों पर 2023 के विधानसभा चुनाव के सिर्फ 11 महीने बाद ही उपचुनाव कराए जा रहे हैं। नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे।
कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
इस उपचुनाव में कांग्रेस के सामने अपनी मौजूदा चार सीटों—झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा और रामगढ़—को बचाने की कड़ी चुनौती है। कांग्रेस के लिए इन सीटों को खोने का मतलब सिर्फ सीटें गंवाना नहीं, बल्कि पार्टी की राजनीतिक साख पर भी असर डालना होगा। ये सीटें या तो विधायकों के सांसद बनने या निधन के कारण खाली हुई हैं।
भाजपा को खोने के लिए ज्यादा नहीं, लेकिन लड़ाई कड़ी
भाजपा के पास इन 7 सीटों में से केवल 1 सीट (सलूंबर) थी, इसलिए उनके पास ज्यादा कुछ दांव पर नहीं है। भाजपा का फोकस उन सीटों पर है जहां कांग्रेस को टक्कर दी जा सकती है।
गठबंधन और तीसरे दलों की चुनौती
चौरासी, सलूंबर और खींवसर सीटों पर कांग्रेस के सामने गठबंधन दलों का मजबूत जनाधार चुनौती बना हुआ है। आरएलपी और अन्य दलों की पकड़ इन इलाकों में काफी मजबूत है, जिससे कांग्रेस को इन सीटों पर कठिनाई हो सकती है। कांग्रेस अभी गठबंधन के बारे में कोई निर्णय नहीं ले पाई है।
वंशवाद और टिकटों की मांग
झुंझुनू, देवली-उनियारा, रामगढ़ और दौसा सीटों पर वंशवाद की चुनौती भी कांग्रेस के सामने है। कई नेताओं के परिवारों से टिकट की मांग हो रही है, जिससे कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन कठिन हो गया है।
5 विधायकों के सांसद बनने और 2 विधायकों के निधन से खाली हुई सीटें
इन 7 सीटों में से 5 विधायकों के सांसद बनने के कारण और 2 विधायकों के निधन के कारण ये सीटें खाली हुई हैं। चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान के बाद इन क्षेत्रों में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।