राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए वोटिंग का रिजल्ट आने और कांग्रेस की सरकार के आने के बाद भी तीन दिन तक इसी पर वार्ता होती रहीं कि आखिर किसे सीएम बनाया जाए। इसके बाद ये अशोक गहलोत का नाम सामने आया और सचिन पायलट को उप-मुख्यमंत्री के रूप में इस पद को संभाला गया। गहलोत के लिए यहां तक का सफर ही कठिनाई वाला नहीं था बल्कि उनके सामने अब सबसे बड़ी चुनौती तो मंत्रिमंडल का गठन करना है और दूसरी बड़ी चुनौती उप मुख्यमंत्री के साथ तालमेल बनाकर रखना है। मंत्रियों की संख्या भी दोनों के समर्थकों की आधी-आधी होगी। राजनीतिक नियुक्तियों का निर्णय भी दोनों मिलकर करेंगे।
लोकसभा चुनाव के लिहाज से बनेगा मंत्रिमंडल
इस बार गहलोत के लिए मंत्रिमंडल का गठन चुनौतीपूर्ण होने का ये भी कारण है कि इसमें पार्टी के दोनों पावर सेंटर के लोगों का समायोजन करना होगा। वहीं फिर कुछ माह बाद लोकसभा के चुनाव भी होने है।
ये हो सकते है मंत्री
डॉ.सी.पी.जोशी, बी.डी.कल्ला, राजेन्द्र पारीक,रघु शर्मा,परसादी लाल मीणा,रमेश मीणा,गोविंद सिंह डोटासरा,नरेन्द्र बुडानिया,महेन्द्र मालवीय,विश्वेन्द्र सिंह,लालचंद कटारिया,महेश जोशी,शांति धारीवाल,भरत सिंह,प्रमोद जैन,सालेह मोहम्मद,जाहिदा,ममता भुपेश,भंवर लाल मेघवाल और टीकाराम जुली आदि को प्रथम चरण में मंत्री बनाया जा सकता है ।
इसी के साथ आपको बता दे कि गहलोत व पायलट ने सरकार चलाने का रोडमैप किया तैयार है। देखना ये है कि अब किन किन लोगों को मंत्री का पद दिया जाता है और बागी हुए लोग और जिन्होेंने पहले ही पार्टी को छोड़ दिया या जो हार गए है उनके साथ क्या होगा ये भी देखना बाकी है।