शरद पुरोहित,जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने धर्मा प्रोडक्शंस की आने वाली फिल्म जिगरा पर लगी अस्थायी रोक को गुरुवार को हटा दिया। जोधपुर की वाणिज्यिक अदालत ने ट्रेडमार्क उल्लंघन के एक मामले में यह रोक लगाई थी।
कोर्ट ने माना, ट्रेडमार्क का उल्लंघन नहीं
जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने माना कि जिगरा फिल्म के शीर्षक से किसी के ट्रेडमार्क अधिकारों का उल्लंघन नहीं हो रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि धर्मा प्रोडक्शंस ‘जिगरा’ नाम से व्यापार नहीं कर रहा है, बल्कि यह कंपनी के नाम से ही संचालित हो रहा है, इसलिए फिल्म का नाम ट्रेडमार्क कानूनों का उल्लंघन नहीं करता।
क्या था मामला?
जोधपुर की वाणिज्यिक अदालत ने 8 अक्टूबर को जिगरा फिल्म की रिलीज़ पर अस्थायी रोक लगाई थी। भल्लाराम चौधरी नामक एक व्यक्ति ने दावा किया था कि ‘जिगरा’ उनका पंजीकृत ट्रेडमार्क है, और धर्मा प्रोडक्शंस द्वारा इसका फिल्म के शीर्षक के रूप में उपयोग करना उनके अधिकारों का उल्लंघन है। इस पर अदालत ने उनकी याचिका पर फिल्म की रिलीज़ रोक दी थी।
धर्मा प्रोडक्शंस की दलील
धर्मा प्रोडक्शंस ने अपनी दलील में कहा कि वे ‘जिगरा’ नाम से किसी वस्तु या सेवा का व्यापार नहीं कर रहे, बल्कि यह सिर्फ एक फिल्म का नाम है। कंपनी ने यह भी बताया कि भल्लाराम चौधरी का ट्रेडमार्क शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र में पंजीकृत है, लेकिन फिल्म निर्माण के अधिकार इसके अंतर्गत नहीं आते।
भल्लाराम चौधरी की दलील
चौधरी ने दावा किया कि उनका ट्रेडमार्क शिक्षा और मनोरंजन क्षेत्र में पंजीकृत है, और फिल्म का नाम उनके ट्रेडमार्क का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनके ट्रेडमार्क को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है और इसे उचित कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिए।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने पाया कि फिल्म का शीर्षक जिगरा ट्रेडमार्क का उल्लंघन नहीं करता और अगर किसी तरह का उल्लंघन होता भी है, तो उसे वित्तीय हर्जाने के जरिए निपटाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि फिल्म की रिलीज़ रोकने से धर्मा प्रोडक्शंस को आर्थिक रूप से नुकसान हो सकता है।
कानूनी टीम
धर्मा प्रोडक्शंस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास बालिया, पराग खंधार, चंद्रिमा मित्रा और राखी बजपाई तिवारी ने पैरवी की। वहीं, भल्लाराम चौधरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और उनकी टीम ने उनका पक्ष रखा।