झुंझुनू। राजस्थान विधानसभा चुनाव-2018 की चहलकदमी दिलचस्प नजर आ रही हैं। राजस्थान में 7 दिसंबर को चुनाव होने हैं। राजस्थान में चुनाव प्रक्रिया को व्यवस्थित तरीके से कराने के लिए कई अलग-अलग विभागों के अधिकारी और कर्मचारी लगे हुए हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग से भी बड़ी तादाद में अधिकारी और अध्यापक लगे हुए हैं। जो राजस्थान में विधानसभा की चुनावी प्रक्रिया को शांति पूर्वक संपन्न कराने में अपनी भागीदारी दे रहे हैं।
बता दें कि विधानसभा चुनावों में कॉलेज व्याख्याताओं के साथ स्कूली शिक्षकों की भी ड्यूटी लगी हुई है। जिसका नुकसान राजस्थान के सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के बच्चों को भुगतना पड़ रहा हैं। दरअसल राजस्थान के कई ऐसे जिले है जिनमें लंबे समय के बाद राजकीय स्तर के कॉलेज में रिक्त पदों पर भर्ती तो की गई है मगर अब व्याख्याताओं की ड्यूटी चुनावों में लगा दी गई हैं।
बताया जा रहा है कि रिक्त पदों पर जितने पदों पर नए व्याख्याता आए हैं। उससे तीन गुना व्याख्याता चुनावी ड्यूटी में लगे हुए हैं। जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही हैं। जिसकी भरपाई के लिए बच्चों को मोटी रकम देकर ट्यूशन का सहारा लिया जा रहा हैं।
जिला मुख्यालय के आर आर मोरारका राजकीय पीजी कॉलेज एवं सेठ नेतराम मघराज राजकीय महिला पीजी कॉलेज की बात कि जाए तो लंबे समय से विभिन्न विषयों के व्याख्याताओं के पद रिक्त चल रहे थे। जिसको लेकर कई बार छात्रनेताओं ने तालाबंदी एवं भूख हड़ताल की है।
बहरहाल इस बार जरुर व्याख्याताओं के रिक्त पदों में से कुछ को भरा तो गया है, लेकिन दिवाली की छुट्टियों के बाद आधे से ज्यादा व्याख्याताओं की विधानसभा चुनावों में ड्यूटी लगाए जाने पर पढ़ाई पर सबसे ज्यादा असर हो रहा हैं।
मुख्यालय की मोरारका कॉलेज में इस बार आठ नए व्याख्याता आए जिससे कुल स्टाफ 27 का हो गया। लेकिन चुनावों में आधे से अधिक शिक्षकों की ड्यूटी लगाने पर कक्षाएं सुनी नजर आ रही हैं वहीं दूसरी तरफ विद्यार्थियों का कोर्स भी पूरा नहीं हुआ हैं। ऐसे में परीक्षाओं की बढ़ती नजदीकियों के चलते विद्यार्थी को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।