कल शाम 5 बजने के साथ ही चुनाव प्रचार का दौर थम थम गया. आचार संहिता लगने के साथ ही प्रचार का शोर, राजनीतिक दलों और प्रत्याशीयों की सभाओं, जुलूस और दूसरे प्रचार के तरीकों पर पाबंदी लग गई। हालाँकि प्रत्याशी घर घर जाकर जनसंपर्क कर सकेंगे. राज्य की 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर 7 दिसम्बर को सुबह 8 से शाम 5 बजे तक मतदान होगा.
टिकट वितरण और नामांकन प्रक्रिया के साथ प्रचार शुरू हो गया था. इस दौरान चुनाव लड़ने वाली हर पार्टी के लगभग सभी बड़े नेता प्रदेश में डेरा डाले हुए थे. प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने भी राजस्थान के चुनाव में 6 दिन का समय दिया और कुल 12 जनसभाओं को संबोधित किया वहीं केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 6 दिन राजस्थान में 17 जनसभाओं को संबोधित किया था।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और स्टार प्रचारक अमित शाह ने 20 जन सभाओं को संबोधित किया था. और प्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद भी शाह ने चार रोड शो किये। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने 5 दिन के दौरों में 24 जनसँभाओ को संबोधित किया वहीं सुषमा स्वराज ने दो जनसभाओं को संबोधित किया।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 2 दिन के दौरों में तीन सभाओं को संबोधित किया, और उनका टोंक में रोड शो भी हुआ। स्मृति ईरानी ने 3 दिन आठ सभाओं को संबोधित किया. हेमा मालिनी भी एक दिन के दौरे पर रही और इस दौरान उन्होंने चार सभाओं को संबोधित किया।
उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद ने तीन संभाओ को, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक जनसभा को, शाहनवाज़ हुसैन ने एक दिन में तीन सभाओं को, छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने एक सभा को और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2 दिन के दौरे में 5 जनसभाओं को संबोधित किया।
भाजपा की तरफ से प्रदेश के चुनाव अभियान में कुल 223 जानसभाएं आयोजित की गई, इसी दौरान बीजेपी के अलग-अलग स्टार प्रचारकों ने 6 रोड शो में शिरकत की और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और नितिन गडकरी दोनों ही टोंक के रोड शो में मौज़ूद रहे।
जमकर हुए घमासान…
राजस्थान विधानसभा चुनाव प्रचार में पिछले 15 दिनों में भाजपा कांग्रेस की तरफ से जमकर घमासान हुआ है. दोनों पार्टियों द्वारा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के दौर चले हैं. जाति से लेकर शुरू हुआ विवादों का मुद्दा गोत्र से होता हुआ बजरंगबली की जाति तक जा पहुंचा और फिर भारत माता की जय से लेकर कांग्रेस की विधवाएँ जैसे शब्दों तक आकर ठहरा है। राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के तमाम बड़े नेता खुद नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने अपनी पूरी ताकत लगाई है वहीं कांग्रेस की तरफ़ से चुनाव प्रचार की कमान राहुल गांधी के अलावा अशोक गहलोत सचिन पायलट जैसे नेताओं के पास रही है. दोनों ही दलों की तरफ से स्टार प्रचारकों ने भी माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
लेकिन इस चुनाव प्रचार में रैलियों को संबोधित करने में दोनों ही दलों की तरफ से अशोक गहलोत ने बाजी मारी है अशोक गहलोत ने इस चुनावी माहौल में में 72 सभाओं को संबोधित किया है।
राज्य में एक बार फिर सत्ता में वापसी की राह देख रही कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी ने 3 महीने में राजस्थान के दौरे पर 30 चुनावी सभाओं को संबोधित किया और 4 रोड शो और 4 पब्लिक संवाद के कार्यक्रम भी किये. अशोक गहलोत सचिन पायलट और अन्य नेताओं की 240 चुनावी सभाएँ हुई।
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में 65 सभाओं को संबोधित किया है। कांग्रेस के स्टार प्रचारक सिद्धू ने 25 से अधिक सभाओं को संबोधित किया जबकि राज बब्बर ने 20 सभाओं को संबोधित किया।
पार्टियों के बयान…
चुनाव प्रचार में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं के बयान सुर्खियों में रहे हैं। प्रचार के शुरुआती दौर में बी.ड़ी. कला के ‘सोनिया गांधी की जय’ के विडियो से हंगामा हुआ तो सीपी जोशी द्वारा पीएम मोदी-उमा भारती की जाति पर दिए गए बयान के मुद्दे राहुल गांधी द्वारा हस्तक्षेप करने से जोशी को माफी मांगने पर मजबूर किया। योगी आदित्यनाथ के बजरंगबली की जाति के बयान पर भी खूब हंगामा हुआ तो अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा अमित शाह को झुक कर प्रणाम करने की बात पर हंगामा किया। राहुल गांधी के गोत्र को लेकर दोनों दलों की तरफ से एक दूसरे पर हमले हुए. राजस्थान में भाजपा के प्रचार के लिए तो मोदी सरकार का लगभग पूरा मंत्रिमंडल ही उतर आया. तो कांग्रेस की तरफ से अहमद पटेल, गुलाम नबी, आजाद मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला, अविनाश पांडे, राजीव शुक्ला, आनंद शर्मा, पवन खेड़ा और मनीष तिवारी जैसे नेताओं ने प्रेस वार्ताओं के जरिए ना केवल भाजपा पर हमला करते रहे बल्कि चुनावी प्रबंधन की कमान भी संभाले रखी।
बहरहाल अब चुनावी प्रचार का शोर थम गया है. 7 तारीख को मतदान होना है और 11 को परिणाम आएगा। देखना होगा कि दोनों दलों के नेताओं के आकाओं और सेनापतियों की तरफ से जो कोशिशें हुए हैं, जनता उन कोशिशों, उन वादों और दावों पर कितना भरोसा करती है और किस दल के हाथ में राजस्थान की कमान सौंपती है?
मतदाताओं की संख्या…
प्रदेश में 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर कुल 2274 प्रत्याशी चुनाव में खड़े है जिनकी किस्मत का फैसला राज्य के 4 करोड़ 75 लाख 54 हज़ार 217 मतदाता करेंगे. इनमें 16 हज़ार 456 सर्विस वोटर्स है.
राज्य में सर्विस वोटर्स हटाकर 4 करोड़ 74 लाख 37 हज़ार 761 वोटर्स है. सर्विस वोटर्स मिलाकर पुरुष वोटर्स की संख्या 2 करोड़ 48 लाख 36 हज़ार 699 और सर्विस वोटर मिलाकर महिला वोटर्स की संख्या 2 करोड़ 27 लाख 17 हज़ार 518 है. सर्विस वोटर्स हटाकर पुरुष 24722365 और सर्विस वोटर्स हटाकर महिला 22715396 मतदाता है.
एपिक धारी वोटर्स 47437368 यानी सौ फीसदी, फोटो इलेक्टोरल रोल 47371561- 99.86%, इलेक्टोरल पॉप्युलेशन रेशियो 621, लिंगानुपात 921 और कुल मतदान केंद्र 51687 जिनमें से सहायक केंद्र 169 और मतदान केंद्र स्थल 35971 है.
उम्मीद है कि इस जानकारी से प्रदेश की जनता को सही प्रत्याशी चुनने में कुछ मदद मिले और आपके मत का सही इस्तेमाल हो…