राजस्थान में हुए 15वीं विधानसभा चुनाव में सियासी गहमागहमी रही। 278 करोड़ रूपए की घोषित आय वाली सबसे धनी उम्मीदवार वोटों के मामले कंगाल साबित हुई। दरअसल इन्हे सबसे कम सिर्फ सात वोट ही मिले हैं।
निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन इस बार काफी अच्छा कहा जा सकता है क्योंकि 13 सीटों पर न केवल निर्दलीय उम्मीदवार जीते बल्कि बामनवास, करणपुर, मेड़ता, रतनगढ, पाली, थानागाजी और सिवाना सहित दस सीटों पर वे दूसरे नंबर पर रहे। कुल मिलाकर देखा जाए तो साढ़े नौ प्रतिशत मतों के साथ उन्होंने लगभग 25 सीटों पर परिणाम को सीधे-सीधे प्रभावित किया। राज्य की थानागाजी सीट पर तो मुख्य मुकाबला ही दो निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच रहा, जिसमें कांति प्रसाद जीते और हेम सिंह दूसरे स्थान पर रहे।
इस बार विधानसभा चुनाव में सबसे अमीर प्रत्याशी जमींदारा पार्टी की कामिनी जिंदल थीं। पिछली विधानसभा में सबसे धनी विधायक रही कामिनी गंगानगर सीट पर इस बार अपनी जमानत तक नहीं बचा सकीं। केवल 4887 मतों के साथ वे छठे स्थान पर रहीं।
रोचक बात यह है कि गंगानगर की चर्चित सीट पर निर्दलीय राजकुमार गौड़ विजयी रहे जो कांग्रेस के बागीहैं। विधानसभा चुनाव में कम से कम दो प्रत्याशी ऐसे रहे जिन्हें दस या दस से भी कममत मिले। इनमें जयपुर में किशनपोल सीट पर निर्दलीय शमीम खान को सात और सादिक कोकेवल 10 वोट मिले।
राज्य की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर सात दिसंबर को मतदान हुआ। कुल 2274 प्रत्याशी मैदान में थे जिनमें से 1822 की जमानत जब्त हो गयी। आंकड़ों को देखा जाए तो 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 88 राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। इनमें बीजेपी ने सभी 199 सीटों पर कांग्रेस ने 194, बसपा ने 189 और आप ने 141 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए। इसके अलावा 830 निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना चुनावी भाग्य आजमाया।