बीकानेर: विट्रिफाइड भ्रूण (फ्रोजन) स्थानांतरण तकनीक से देश में पहली बार घोड़े के बच्चे का जन्म

बीकानेर के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र ने विट्रिफाइड भ्रूण स्थानांतरण तकनीक से देश के पहले घोड़े के बच्चे 'राज-शीतल' का जन्म कराया। यह तकनीक घोड़ों की घटती संख्या को देखते हुए उनकी नस्ल के संरक्षण में अहम साबित होगी।

शरद पुरोहित,जयपुर। बीकानेर के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने विट्रिफाइड (फ्रोजन सीमन) भ्रूण स्थानांतरण तकनीक के जरिए देश में पहली बार एक घोड़े के बच्चे का जन्म कराया। इस नवजात का नाम ‘राज-शीतल’ रखा गया है और इसका वजन लगभग 20 किलो है। यह भारत के लिए घोड़ों की नस्ल संरक्षित करने में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

कैसे काम करती है विट्रिफाइड भ्रूण तकनीक?

केंद्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ. एससी मेहता ने बताया कि इस तकनीक में घोड़ी को घोड़े के फ्रोजन सीमन से गर्भवती किया गया। भ्रूण को 7.5 दिन बाद फ्लश कर, इसे क्रायोडिवाइस में विट्रिफाइ किया गया और तरल नाइट्रोजन में सुरक्षित रखा गया। इसके बाद भ्रूण को पिघलाकर एक सरोगेट घोड़ी में स्थानांतरित किया गया, जिससे घोड़ी ने एक स्वस्थ बछेड़े को जन्म दिया।

वैज्ञानिकों की टीम ने प्राप्त की सफलता

राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र की टीम ने यह सफलता हासिल की है। इस टीम में डॉ. टी राव तालुड़ी, डॉ. सज्जन कुमार, डॉ. आर के देदड़, डॉ. जितेंद्र सिंह, डॉ. एम कुट्टी, डॉ. एससी मेहता, डॉ. टी के भट्टाचार्य और मिस्टर पासवान शामिल थे। इस टीम ने इससे पहले भी मारवाड़ी और जांस्कारी नस्लों के घोड़ों के भ्रूण विट्रिफाई कर महत्वपूर्ण काम किया है।

घोड़ों की घटती संख्या के बीच एक सकारात्मक संकेत

भारत में घोड़ों की आबादी में तेजी से गिरावट हो रही है। 2012 से 2019 के बीच पशुधन गणना के आंकड़ों के अनुसार घोड़ों की संख्या में 52.71% की कमी आई है। ऐसे में स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए विट्रिफाइड भ्रूण तकनीक अहम भूमिका निभा सकती है। केंद्र इस दिशा में प्रयासरत है और यह नई तकनीक भविष्य में स्वदेशी घोड़ों की संख्या बढ़ाने में सहायक होगी।

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लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
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शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
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