अपनी ही सरकार में किरोड़ीलाल मीणा क्यों हैं इतने बैचेन? क्या ‘कुर्सी’ में फंस गया सारा मामला? पूरी कहानी

राजस्थान की भजनलाल सरकार में कृषि विभाग का महकमा संभाल रहे मंत्री किरोड़ीलाल मीणा इन दिनों सूबे की सुर्खियों में छाए हुए हैं.

अवधेश पारीक, जयपुर। “धुआं जो कुछ घरों से उठ रहा है, ना पूरे शहर पर छाए तो कहना”…सदी के मशहूर फनकार जावेद अख्तर साहब ने अपनी इस नज्म ने शहर, सियासत, सत्ता और समाज के हर तानेबाने को शब्दों की सजावट में बांध दिया जहां कहीं से भी उठा धुआं कहां जाकर गुब्बार बन जाए पता भी नहीं चलता लेकिन सियासत के गलियारों की बात करें तो यहां अक्सर धुंए के साथ ऐसी चिंगारियां भी उठती है जिनकी तपिश जून के तपते सूरज सरीखी होती है और फिर उठने वाला धुआं किसकी छत पर छाएगा ये भविष्य के गर्भ में कैद होता है.

दरअसल आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सियासी गलियारों की जहां लोकसभा के रण की चुनावी चकल्लस के बीच एक दूसरा सियासी तूफान जमीन बना रहा है.

जी हां, राजस्थान की भजनलाल सरकार में कृषि विभाग का महकमा संभाल रहे मंत्री किरोड़ीलाल मीणा इन दिनों सूबे की सुर्खियों में छाए हुए हैं. हालांकि किरोड़ीलाल मीणा सरकार के गठन और मंत्री बनाए जाने के बाद से चर्चा में है लेकिन दबी जुबां में होने वाली अटकलबाजी अब खुलकर कई संकेतों में सामने आने लगी है.

मालूम हो कि राजस्थान में बीते साल दिसंबर में भजनलाल शर्मा के सूबे के सेनापति की कमान संभालने के बाद जब उनकी सेना बनी तो किरोड़ीलाल मीणा के कद औऱ अनुभव के मुताबिक विभाग नहीं मिलने को लेकर नाराजगी की भीतरखाने चर्चाएं थी किसी ने कहा उम्मीद के मुताबिक पद नहीं मिला तो कोई बोला बाबा को दरकिनार किया जा रहा है लेकिन खुद किरोड़ीलाल ने खुलकर इस पर कभी कोई बयान नहीं दिया बस इशारों में इस चौसर की चाल चलते रहे.

वहीं इसके बाद मौका आया लोकसभा चुनाव का और चुनावी चौसर बिछते ही बाबा ने अपनी नाराजगी के ईर्द-गिर्द तानाबाना बुनना शुरू कर दिया. आइए कुछ घटनाक्रम पर गौर करते हैं और तफ्सील से आपको समझाते हैं कि कैसे किरोड़ीलाल मीणा ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सीधे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की घेराबंदी करनी शुरू की.

दौसा लोकसभा सीट बन गई गले की फांस!

दरअसल किरोड़ीलाल मीणा के मंत्री पद संभालते ही बीजेपी आलाकमान से लोकसभा चुनावों में दौसा सीट उनके जिम्मे आ गई जहां चुनावी माहौल तैयार हुआ तो बाबा की साख का सवाल बन गया.

ऐसे में किरोड़ीलाल ने अपनी नाराजगी की भूमिका चुनावी नतीजों के साथ बांधने के बाद फिर सीधा सरकार के मुखिया पर हमलावर रूख एख्तियार कर बनाई. राजस्थान में लोकसभा चुनावों की वोटिंग के दौरान किरोड़ीलाल मीणा ने दौसा में पूरा जोर लगाया और चुनावी प्रचार के दौरान उनके कई बयान भी वायरल हुए जहां झलका कि दौसा सीट पर जीत बाबा के लिए कितना अहम हो गया है.

सूबे में मतदान के बाद किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि अगर दौसा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी की हार होती है तो वह अपनी मंत्री की कुर्सी छोड़ देंगे. इस दौरान वह काफी नाराज दिखे और उन्होंने कहा कि अगर दौसा से कन्हैया लाल मीणा चुनाव हार जाता है तो मैं अपना इस्तीफा दे दूंगा…मुझे धोखा मिलता रहा है लेकिन मैं जनता के लिए काम करता रहूंगा.

उन्होंने यह भी कहा कि मैंने पार्टी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और कन्हैया लाल मीणा से वादा किया था ऐसे में वह हारा तो मैं उसी दिन इस्तीफा दे दूंगा चाहे मेरी शहीदी हो जाए मुझे सड़क पर खड़ा रहना पड़ जाए. बाबा के इस बयान के बाद जानकारों ने कहा कि 4 जून के बाद सूबे के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर तूफान आने की संभावना है और ये राजस्थान बीजेपी में बड़े बवंडर की आहट है.

वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेष्कों का मानना था कि किरोड़ीलाल मीणा अपने मंत्रालय से नाखुश थे और उनके समर्थकों में भी एक मायूसी की भावना है ऐसे में वह चुनावी नतीजों से पहले ही नैतिक जिम्मेदारी की भूमिका तैयार कर रहे हैं.

मालूम हो कि पिछली गहलोत सरकार में लगातार 5 सालों तक कभी धरने, कभी घेराव तो कभी मुद्दों के लिए सड़क पर संघर्ष करने वाले किरोड़ीलाल मीणा के इतिहास और उनके बेबाकी भरे अंदाज में लिपटे इस बयान को हर किसी ने गंभीरता से लिया.

वर्चस्व की लड़ाई का केंद्र बन गया दौसा!

दरअसल दौसा सीट का लोकसभा चुनाव वहां के प्रत्याशी से शिफ्ट होकर सूबे की अन्य एक-दो सीटों की तरह व्यक्ति विशेष पर आ गया है जहां किरोड़ी vs मुरारीलाल मैदान में है. अगर हम इतिहास में पीछे चले तो पाएंगे कि दौसा सीट टिकट को लेकर पिछली बार भी आखिर तक फंसी रही थी और इस बार भी वैसा ही हुआ. बीजेपी ने जहां सिटिंग MP जसकौर मीणा का टिकट काटा, इससे पहले उनकी बेटी या किरोड़ी के भाई का नाम चल रहा था.

आखिर में बीजेपी ने बीचबचाव करते हुए एक तीर से संभवत: दो निशाने साधते हुए किसी नए चेहरे को उतारा जिसके बाद किरोड़ीलाल मीणा के जिम्मे दौसा सीट आ गई. वहीं चुनाव प्रचार के दौरान दौसा में पीएम नरेंद्र मोदी ने रोडशो किया, किरोड़ी रथ पर बगल में खड़े दिखे ऐसे में संभवत: दौसा सीट जीतना किरोड़ीलाल के लिए वर्चस्व और खुद को साबित करने की लड़ाई के तौर पर आ टिकी.

इसके बाद किरोड़ीलाल के मंत्री पद छोड़ने के बयान पर कांग्रेस ने भी घेराबंदी शुरू कर दी जहां मुरारी लाल की एक सभा में सचिन पायलट ने तो बाद में पीसीसी चीफ डोटासरा ने भी कुर्सी छोड़ने वाले बयान पर तंज मारा.

गौरतलब है कि दौसा किरोड़ी लाल के भी प्रभाव वाला जिला माना जाता है ऐसे में सियासी गलियारों में ये भी चर्चा रही कि जसकौर मीणा का टिकट कटने में किरोड़ी मीणा के सुझाव ने भी काम किया और उनकी पैरवी पर ही कन्हैयालाल मीणा को टिकट मिला. ऐसे में किरोड़ी लाल की चुनाव प्रचार के दौरान लगातार उठी नाराजगी और गुस्से को बीजेपी के स्थानीय नेताओं के कामकाज के तौर तरीकों से भी जोड़कर देखा गया. वहीं चुनावी सभा में भीड़ नहीं जुटने पर भितरघात की आहट भी सुनाई दी.

ERCP, गांधी नगर फ्लैट स्कीम और जल जीवन मिशन पर हमलावर बाबा

वहीं सूबे में जब लोकसभा चुनावों का घमासान शांत हुआ तो किरोड़ीलाल मीणा ने अपनी तरकश के दूसरे तीर दागने शुरू कर दिए जहां उन्होंने राज्य सरकार के स्तर पर कई अनियमितताओं को उजागर करने के साथ ही सीधे सीएम भजनलाल शर्मा को निशाने पर लेना शुरू किया.

किरोड़ीलाल ने बीते दिनों कई अहम मुद्दों पर सीएम को सीधा पत्र लिखा और उचित एक्शन की मांग की. मीणा ने पहले सीएम भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर जल जीवन मिशन में घोटाले-धांधली की बात कही जिसके बाद सरकार ने सभी टेंडरों को निरस्त करने की कार्रवाई की.

वहीं इसके बाद किरोड़ीलाल ने राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के बीच पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) योजना में अपनी ही सरकार के विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर खलबली मचाई. कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ईआरसीपी योजना में जल संसाधन विभाग पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए.

किरोड़ी लाल ने पत्र में लिखा है कि योजना में जमीन बेचान में करोड़ों के खेल हुआ है जहां जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने अलवर शहर से मुख्य मार्ग की जमीन ERCP को हस्तांतरित करने में अनुचित तरीके से नीलाम कर दिया है जहां उनका आरोप था कि 50 करोड़ की जमीन मात्र 9 करोड़ में बेच दी गई. बाबा ने मुख्यमंत्री से कहा कि इस जमीन बेचान में करोड़ों का खेल हुआ है जिसमें भूमि के अनियमित बेचान को निरस्त करवाकर दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए.

अब किरोड़ीलाल यहीं नहीं रूके हाल में उन्होंने सीएम को एक और पत्र लिखा जिसमें उन्होंने जयपुर में गांधीनगर स्थित ओल्ड एमआरईसी कैम्पस व राजकीय कॉलोनी के पुनर्विकास योजना के नाम पीपीपी मॉडल पर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाने के प्रोजेक्ट में 1146 करोड़ रुपए का घोटाला होने की संभावना जताई. मंत्री ने आरोप लगाया कि योजना को मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री व केबिनेट से अनुमोदित करवाए बिना ही काम शुरू कर दिया गया जबकि मुख्यमंत्री ने फाइल लौटा दी थी.

सियासी जानकारों का मानना है कि किरोड़ीलाल लगातार सीधे सीएम पर हमलावर रूख अपनाकर अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दबाव की राजनीति का रास्ता ले रहे हैं जिसकी परिनीति लोकसभा चुनावों के नतीजों में देखने को मिलेगी.

“पद से कद नहीं नापा जाता, कद हमेशा बड़ा रहता है”

अब आखिर में किरोड़ीलाल मीणा का वो एकमात्र बयान जो उन्होंने मनमुताबिक मंत्रालय नहीं मिलने के सवाल पर दिया था. एक इंटरव्यू में पूछे गए सवाल के जवाब में किरोड़ी ने कहा था कि “पद से कद नहीं नापा जाता, कद हमेशा बड़ा रहता है”….महात्मा गांधी और जेपी के पास कौनसे पद रहे थे” उन्होंने आगे कहा जो मिला है उसमें लगना है अन्य कामों के लिए बाकी मंत्रियों से समन्वय करना है और गलत के खिलाफ आवाज उठानी ही है. बाबा का शायद यही अंदाज उनकी कमजोरी और मजबूती दोनों समय-समय पर बनता रहा है.

वहीं दूसरी ओर किरोड़ीलाल मीणा की फितरत हमेशा धरना, प्रदर्शन और आंदोलन करने की रही है जहां हाल में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि वह इन दिनों धरना-प्रदर्शन को काफी ‘मिस’ कर रहे हैं. ऐसे में लगातार आते उनके ऐसे बयानों के चलते राजनीतिक जानकार उनके इस बयान को इस्तीफे की पेशकश से जोड़कर देख रहे हैं. इसके इतर एक चर्चा यह भी है कि अगर लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद राजस्थान की सरकार में कोई बड़ा बदलाव होता है तो उसमें किरोड़ीलाल के मंत्रालय और विभाग में बदलाव किया जा सकता है.

(ये लेखक के अपने विचार है, संस्था का इससे कोई लेना-देना नहीं है)

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

लेखक परिचय

Dr Sharad Purohit
Dr Sharad Purohithttps://x.com/DrSharadPurohit
शरद पुरोहित एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हिंदी समाचार चैनल 'Zee News', 'सहारा समय और 'ETV News राजस्थान' में भी वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे हैं। जयपुर में रहते हुए शरद पुरोहित अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई और उनकी रिपोर्टिंग ने अपराध जगत से जुड़े कई मामलों पर गहराई से प्रकाश डाला। वह डिजीटल मीडिया के क्षेत्र में भी कुशल माने जाते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला हिंदी ओटीटी न्यूज़ प्लेटफार्म 'The Chowk' की शुरुआत की, जिसमें वह सीईओ की भूमिका निभा रहे हैं। शरद पुरोहित का योगदान न केवल पारंपरिक पत्रकारिता में, बल्कि डिजीटल प्लेटफार्म पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
--advt--spot_img