प्लास्टिक प्रदूषण से बचाव के लिए रखी गई है “बीट प्लास्टिक” थीम
आज पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। प्लास्टिक से मानव और पशु जीवन को हो रहे नुकसान को देखते हुए इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ” बीट प्लास्टिक” रखी गई है। जल, वायु, ध्वनि और मृदा प्रदूषण के साथ वर्तमान में प्लास्टिक प्रदूषण पृथ्वी के पर्यावरण के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। और मानव जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर देखिए हमारी यह स्पेशल स्टोरी|
पृथ्वी के पर्यावरण के लिए प्लास्टिक प्रदूषण बना बड़ी चुनौती
आज प्लास्टिक प्रदूषण हमारी जैव विविधता को प्रभावित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापवृद्धि से आज मानव जीवन संकट के मुहाने पर आता जा रहा है और यदि मानव ने समय रहते पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर व्यापक सोच के साथ विभिन्न उपायों को अपनाकर समय रहते प्रदुषण मुक्त राह नहीं पकड़ी तो पृथ्वी पर आगामी महाविनाश को टालना मुश्किल हो जाएगा। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है की प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग पर रोक लगाकर ही पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए पृथ्वी पर जीवन यापन को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में 1973 से प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस आयोजित किया जाता है। और इस वर्ष यह गोल्डन जुबली ईयर है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2023 को अफ्रीकी देश कोटे डी आइवर की मेज़बानी में आयोजित किया जा रहा है। कोटे डी आइवर के साथ नीदरलैंड सहयोगी भूमिका में है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर दुनिया विशेष अभियान के तहत प्लास्टिक प्रदूषण में कमी और इसके समाधान पर ध्यान केंद्रित करेगी। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए विभिन्न देशों की सरकारें कदम उठा रही हैं। माईक्रोप्लास्टिक्स यानि कि 5 मिमी व्यास तक के छोटे प्लास्टिक के कण भोजन, पानी और हवा में अपना रास्ता खोज लेते हैं। अनुमानतः प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष 50,000 से अधिक प्लास्टिक कणों का उपभोग करता है। फेंके गए या जलाए गए एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक मानव स्वास्थ्य और जैव विविधता को नुकसान पहुँचाते हैं और पहाड़ की चोटियों से लेकर समुद्र तल तक हर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदूषित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत
भारत ने 2018 में 45वें विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी की थी और उस वर्ष की थीम भी ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं’ थी।
उपजाऊ खेतों को भी बंजर बना रहा प्लास्टिक
प्लास्टिक व पॉलीथिन थैलियों के लगातार उपयोग से उपजाऊ जमीनें भी बंजर बन रही है, वहीं प्लास्टिक व पोलिथिन थेलियां गाय और अन्य जानवरों की मौत का कारण भी बन रही है। खुले में फैंकी जाने वाली अमानक प्लास्टिक को जानवर खा जाते हैं। लेकिन पेट में यह पच नहीं पाती और आंतों में फंसकर पशुओं को गंभीर रूप से बीमार कर देती है। दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता पर भी इसका जबरदस्त असर पड़ता है।