जयपुर मदारिया सूफी फाउंडेशन नाम के एक संगठन की ओर से अजमेर के चर्चित बलात्कार प्रकरण को लेकर बन रही फिल्म के निर्माताओं को नोटिस भेजकर पोस्टर में अजमेर दरगाह के गुम्बद आदि दृश्यों का उपयोग किए जाने पर आपत्ति जताई है। हालांकि अजमेर दरगाह से जुड़े प्रतिनिधियों ने ऐसी किसी संस्था को जानने से ही इनकार कर दिया है। लीगल नोटिस फाउंडेशन के समीर बोधानी की ओर से मंगलवार को भेजा गया।
अजमेर 92 में गलत व भ्रामक जानकारी दी
इसमें कहा है कि ‘अजमेर 92’ फिल्म को लेकर जारी पोस्टर में आपत्तिजनक, गलत व भ्रामक जानकारी दी गई है। पोस्टर में 1992 में 250 कॉलेज छात्राओं के इस घटना का शिकार होने और 28 परिवारों के रातों-रात गायब होने की बात कही गई है। नोटिस में कहा है कि इस घटना में अभियुक्त और पीड़ित दोनों ही विभिन्न समुदायों से हैं और 28 परिवारों के रातों-रात गायब होने का भी रिकॉर्ड नहीं है। नोटिस में मांग की गई है कि फिल्म निर्माता सही तथ्य पेश करें, मनगढ़त स्क्रिप्ट पेश नहीं करें। इसमें अजमेर शरीफ दरगाह से संबंधित दृश्यों और सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री को हटाने की मांग भी की गई है। साथ ही आरोप लगाया है कि पोस्टर के माध्यम से सनसनी