उदयपुर। राज्य सरकार के जीव रक्षा की संकल्पना को साकार करने की दिशा में पशुपालन विभाग की ओर से आए दिन नवाचार किए जा रहे हैं। जिससे की पशु एवं पशुपालकों के हितों का ध्यान रखा जा सके। इसी की तहत उदयपुर में बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय एवं एनिमल फीड उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में “रेबीज मुक्त उदयपुर” अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में प्रत्येक रविवार को एंटी रेबीज वेक्सीन श्वानों में प्रायोरिटी से लगाई जा रही है।
“रेबीज मुक्त उदयपुर” अभियान को लेकर उप निदेशक डॉ. शरद अरोड़ा ने बताया की एक जनवरी से सम्पूर्ण उदयपुर शहर में इस अभियान की शुरुआत की गयी थी। जिसके तहत अभी तक 150 सड़कों पर घूमने वाले श्वानों का टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया की कई बार आवारा कुत्तों के काटने से आम जन में भय उत्पन्न हो जाता है साथ ही मानव – पशु संघर्ष जैसी अवस्थाएं भी उत्प्न्न हो जाती है। जिसकी वजह से आम जनता इन बेजुबानों की मदद करने से कतराती है। रेबीज मुक्त होने से मानव- पशु विश्वास कायम होने के साथ ही बेसहारा श्वानों को रेबीज जैसी बीमारी से मुक्ति मिल सकेगी। उन्होंने बताया की इस अभियान में शहर के प्रशासनिक अधिकारी भी बढ़ चढ़ कर सहयोग कर रहे है।
क्या होती है रेबीज बीमारी?
रेबीज बीमारी के बारे जानकारी देते हुए डॉ. महेंद्र मेहता ने बताया की रेबीज़ इंसानों में अन्य जानवरों से संचारित होता है। जब कोई संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या इंसान को खरोंचता या काटता है तब रेबीज़ संचारित हो सकता है। मनुष्यों में सामान्यतया रेबीज के मामले कुत्तों के काटने से होते है। रेबीज़ एक विषाणु जनित बीमारी है जिस के कारण अत्यंत तेज इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क का सूजन) आ जाती है। प्रारंभिक लक्षणों में बुखार आ सकता है, वही हिंसक गतिविधि, अनियंत्रित उत्तेजना, पानी से डर, शरीर के अंगों को हिलाने में असमर्थता, भ्रम, और होश खो देना जैसे लक्षण भी प्रकट हो सकते है। समय पर उपचार और बीमारी के प्रति जागरूकता ही एक मात्र बचाव का उपाय है।