सीकर। पशुपालकों के पशुओं की विशिष्ठ चिकित्सा व्यवस्था के लिए ‘वेटरनरी पॉलीक्लॉनिक’ की स्थापना आवश्यक है। राजस्थान में पहले जिला स्तर पर ही पॉलीक्लिनिक होते थे परंतु सबसे पहले कुचामनसिटी में तहसील स्तर पर ही “पॉलीक्लिनिक” की स्थापना की गई।
पिछले वर्ष नवलगढ़ और चाकसू में भी पॉलीक्लिनिक स्थापित की गए है जिनकी तुलना में ‘नीम का थाना’ भी पॉलीक्लिनिक बनने की सारी क्षमता रखता है। पॉलीक्लिनिक में कुल 3 बड़े सेक्शन होते है। पशु मादारोग विशेषज्ञो का ‘गाईनेकोलॉजी सेक्शन’ तथा सर्जन का ‘सर्जरी सेक्शन’ के साथ साथ ‘सामान्य चिकित्सा हेतु ‘जनरल मेडिसिन सेक्शन’ होता है।
पॉलीक्लिनिक में एक्स-रे, सोनोग्राफी जैसी जांचों की सुविधा भी होती है जिनसे पशुओं के काफी जटिल रोग भी पकड़ में आ जाते है।
डॉ योगेश आर्य ने बताया कि नीम का थाना में नवीनतम पशुगणना के अनुसार 105583 भैंस, 17297 गाय, 149041 बकरियां, 21492 भेड़, 893 ऊंट, 1547 सुअर और 2235 अन्य पशु मिलाकर कुल 2,98,088 पशुधन है।
इतने पशुधन की विशिष्ठ चिकित्सा व्यवस्था हेतु पॉलीक्लिनिक बनने पर उसमें 1 उपनिदेशक, 3 वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी, 3 पशुचिकित्सा अधिकारी, 2 पशुचिकित्सा सहायक, 4 पशुधन सहायक, 6 पशुधन परिचर, 1 कनिष्ठ सहायक, 1 वरिष्ठ सहायक, 1 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, 1 X-ray टैकनिशियन और 1 सफाईकर्ता समेत कुल 24 पद सृजित होंगे जिससे नीम का थाना में पशुचिकित्सा व्यवस्थाएं सुदृढ़ होंगी।