लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार ने भले ही राइट टू हेल्थ कानून बना दिया है, लेकिन लचर चिकित्सा व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लचर चिकित्सा व्यवस्थाओ के चलते सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। ऐसा ही मामला आज नागौर जिले के मेड़ता रोड में सामने आया है, जहां उपचार के अभाव में मात्र 24 घंटों में 3 मासूमों की जान चली गई।
मृतकों में दो बच्चे एक ही परिवार के हैं जबकि एक मृतक बच्चा पड़ोस का है। माना जा रहा है कि कुल्फी या शीतल पेय का सेवन करने से तीनों बच्चों की मौत हुई है।
आपको बता दें कि मेड़ता रोड के नायकों की बाती निवासी अमराराम की पोती सरिता और रुपाराम ने शीतल पेय पीया था, जिसके पश्चात उन्हें उल्टी हुई। इस पर परिजन बच्चो को लेकर चिकित्सालय गए, जहां से चिकित्सकों ने बच्चों को पहले मेड़तासिटी और फिर जोधपुर रैफर कर दिया। जहां उपचार के दौरान 8 वर्षीय रुपाराम की मौत हो गई। उसके अंतिम क्रियाकर्म करके घर पहुंचते ही 12 वर्षीय पौत्री सरिता की भी मौत हो गई। अभी कुछ घंटे ही बीते थे कि पड़ोस में ही रहने वाले श्यामलाल की साढे तीन साल की पुत्री लक्ष्मी की भी मौत हो गई। एक ही दिन में हुई इन तीन मौतों से बस्ती में हाहाकार मच गया।
सूचना पर बीसीएमओ डॉ. सुशील दिवाकर मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। पंचायत समिति सदस्य राजेश जाजड़ा ने बताया कि तीनों बच्चों की मौत के लक्षण समान है। तीनों बच्चों को पहले उल्टी फिर हाथ पैर में तनाव के साथ ही मौत हुई है। जहां एक और सरकार महंगाई राहत शिविर चला कर जनता को महंगाई से राहत देने का काम कर रही है तो वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अनदेखी के चलते लचर हुई चिकित्सा व्यवस्थाओं की सुध लेने वाला कोई भी नहीं है। जिसके चलते इस भीषण गर्मी में ग्रामीणों को उपचार के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। यहां तक कि अपने मासूम बच्चों की जान से भी हाथ धोना पड़ रहा है।