अलवर। अलवर की मूसी महारानी स्थापत्य कला के रूप में विशेष पहचान रखती है। जीर्ण शीर्ण होती मूसी महारानी की छतिरियों को सहेजने के लिए विशेष प्लान तैयार किया गया है। जिसमें करीब 1 करोड़ की लागत से इसके मरम्मत व विकास के कार्य करवाए जाएंगे। यह काम पुरातत्व विभाग और यूआईटी के माध्यम से करवाया जाएगा। इसके लिए टेंडर भी जारी हो चुके हैं।
प्रवेश द्वार पर लगा रहे गेट
मूसी महारानी के सौंदर्यकरण के लिए यहां काम शुरू करवा दिया गया है। सबसे पहले यहां एंट्रेस वाले गेट तैयार किए जा रहे हैं। जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाएंगे। मूसी महारानी की छतरी खुली जगह पर बनी हुई है। जहां आवारा जानवर मंडराते रहते हैं। इसके लिए सबसे पहले यहां प्रवेश द्वार तैयार किए जा रहे हैं, ताकि पर्यटक परेशान नहीं हो। वहीं वाहनों का अंदर आना भी बंद हो जाएगा। इसके साथ ही असामाजिक तत्वों के जमावड़ों पर भी रोक लग सकेगी।
प्रतियोगी परीक्षा में पूछा जाता सवाल
मूसी महारानी की छतरी अलवर शहर के जलाशय के पास में बनी हुई है। यह 84 खंभों पर टिकी हुई है। इसको लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कई बार सवाल पूछा जाता है। संग्रहालय अध्यक्ष प्रतिभा पारीक ने कहा कि छतरी पर विशेष रूप से यहां के पत्थरों को सहेजने के लिए काम किया जाएगा। प्रवेश गेट लगने से जानवर यहां नहीं आ सकेंगे।
ये हो रही थी परेशानी
मूसी महारानी की छतरी अपनी अलग पहचान रखती है। यह लाल पत्थर से बनी हुई है। पुरानी होने के कारण अब धीरे धीरे लाल पत्थर झड़ने लगा है। पत्थर के बिखरने से लाल पत्थर के झरोखे भी अब टूटने लगे हैं। सबसे पहले इन्हें सहेजने का काम किया जाएगा।