मणिपुर में हो रही हिंसा करीब 2 हफ्ते बाद भी नहीं थमी है। यह हिंसा मैतेई समुदाय को ST का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में कुकी समुदाय की ओर से रैली निकाले जाने के साथ शुरू की गई थी। इस बीच, कुछ संदिग्ध उग्रवादियों ने अलग-अलग जगहों पर 10 मकानों और दो ट्रकों में भीषण आग लगा दी थी।
सूत्रों की माने तो जिन घरों में आग लगाई जा रही है,वह हिंसा ग्रस्त चुराचंदपुर जिले के गांव तोड़बुंग के हैं। यह गांव हाल कि उस हिंसा का केंद्र भी था जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी। ताजा हिंसा ऐसे वक्त हो रही है,जब राज्य में बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बल तैनात है।
सूत्रों के मुताबिक सेना और असम राइफल्स के 1280 और जवानों की तैनाती की गई है। शिविरों में रह रहे तोरबू गांव के लोगों का कहना है कि केंद्रीय बलों की मौजूदगी होने के बावजूद भी संदिग्ध उग्रवादियों ने उनके घरों को जला रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे सरकार से हथियार देने की मांग कर रहे हैं क्योंकि सुरक्षा बल उनकी और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा करने में नाकाम है।
ऐसे में अब वह सुरक्षाबलों के भरोसे नहीं रहना चाहते हैं बल्कि हमलावर उसे खुद निपटना चाहते हैं। उन्होंने इलाके से केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने की मांग भी की है।
मणिपुर से भागकर 6000 कुकी- चीन- मिजो ने ली है शरण।
मणिपुर के विभिन्न इलाकों से चिन-कुकी-मिजो जनजातीय समुदाय के करीब 6000 लोग मिजोरम पहुंच चुके हैं। इनमें आइजोल जिले में 2021, कोलासिब में 1847, और सेतुअल में 1790 लोग शरण लिए हैं।
मिजोरम के एक अफसर ने बताया कि राहत शिविरों में 5822 लोग रह रहे हैं। कुछ लोग राज्यों में अपने परिचितों के यहां ठहरे हुए हैं। इस बीच, मिजोरम के सांसद सी ललरोसंगा ने मणिपुर की कुकी जनजाति विधायकों की जनजातीय लोगों के लिए अलग प्रशासन की मांग का समर्थन किया है।
पुलिस ने शनिवार को विष्णुपुर जिले में अज्ञात शव भी बरामद किए हैं इसके साथ ही हिंसा में कुल मृतकों की संख्या 73 हो चुकी है।
अब ड्रोन से की जा रही है निगरानी।
मणिपुर के 16 में से 10 जिले हिंसा से पीड़ित हैं, भारत-म्यांमार सीमा की ड्रोन से निगरानी की जा रही है, हर चप्पे-चप्पे पर ड्रोन से निगरानी तेज कर दी गई है , वही पहाड़ी इलाकों में खोजी कुत्तों की मदद से जांच की जा रही है।