टीबी रोग के निदान के लिए प्रदेश में मिसाल बना श्रीगंगानगर का टांटिया मेडिकल कॉलेज, WHO ने की इस वजह से प्रशंसा

चौक टीम, जयपुर। टीबी रोग के निदान के लिए डॉ. एस. एस. टॉटिया मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रदेशभर में एक मिसाल बन गया है। पिछले दिनों उदयपुर में हुई राज्यस्तरीय बैठक में मौजूद डब्ल्यूएचओ एवं टीबी एसटीएफ के अधिकारियों ने टॉटिया मेडिकल कॉलेज की कोर कमेटी की प्रशंसा करते हुए इसे राज्य के सभी सरकारी एवं निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए आदर्श बताया। यह टॉटिया यूनिवर्सिटी के वाइस चेयरमैन डॉ. मोहित टाटिया की दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि श्रीगंगानगर जैसे छोटे से शहर में उपल्ब्ध करवाई जा रही विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाओं की चर्चा चहुंओर हो रही है। टॉटिया मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संकल्प दिवेदी ने बताया कि इस बैठक में जन सेवा हॉस्पिटल के टीबी डॉट सेंटर के नोडल ऑफिसर चेस्ट फिजिशियन डॉ. संजय सोलंकी भी मौजूद रहे।

क्या है सरकार के प्रयास

सरकार वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करना चाहती है। इसके लिए सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत सभी सरकारी एवं निजी मेडिकल कॉलेजों को निक्षय मित्र बनाने के निर्देश दिए हैं। ये निक्षय मित्र अपनी क्षमता के अनुरूप टीबी रोगियों को गोद लेते हैं और खुद के खर्च से उन्हें पोषण किट उपलब्ध करवाते हैं। टीबी रोगियों को पूर्णतः निशुल्क उपचार और अन्य सुविधाएं भी सरकार उपलब्ध करवा रही है। इसकी पालना के लिए प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में एक कोर कमेटी बनी हुई है, जो तिमाही बैठक कर कार्य की समीक्षा करती है और राज्य स्तर पर स्टेट टास्क फोर्स टीची (एसटीएफ) की बैठक में यह रिपोर्ट देती है।

टांटिया एमसीएच के लिए यह बना आधार

टॉटिया मेडिकल कॉलेज में भी डीन डॉ. संकल्प द्विवेदी की अध्यक्षता में कोर कमेटी बनी हुई है। इसमें प्रत्येक विभाग से सदस्य लिया गया है। कोर कमेटी नियमित बैठक करती है। एक कर्मचारी सभी विभागों में जाकर टीबी रोगियों की पहचान करता है। वर्ष 2023 में अक्टूबर से दिसंबर तक कुल 111 टीबी रोगियों की पहचान की गई। इसके साथ ही जन सेवा हॉस्पिटल में सरकार से अधिकृत डॉट सेंटर है। यहां टीबी रोग संबंधी प्रशंसनीय सेवाएं दी जा रही हैं। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए निक्षय मित्र योजना के तहत राज्य सरकार से देय दवाओं के साथ पोषण सामग्री की किट भी उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके साथ ही क्षय रोगियों को सरकार की ओर से इलाज चलने तक दिए जाने वाली 500 रुपए की मासिक सहायता योजना के बारे में बताया जाता है और इसके लिए कागजी कार्रवाई पूरी करवा कर सहायता दिलवाने में मदद की जाती है।

छूत की बीमारी नहीं है टीबी

जन सेवा हॉस्पिटल के टीबी डॉट सेंटर के नोडल ऑफिसर चेस्ट फिजिशियन डॉ. संजय सोलंकी बताते है कि कुछ लोग टीबी को छूत की बीमारी कहते हैं। यह कतई उचित नहीं है। टीवी ती अनेक प्रकार की होती है। शरीर के किसी भी अंग में टीबी हो सकती है। जिन लोगों को फेफड़े की टीबी होती है, उनमें भी जिसके बलगम में टीबी हो, केवल वे लोग ही दूसरों की टीबी फैला सकते हैं। अन्य टीबी रोगी नहीं।

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