जालौर-सिरोही में वैभव गहलोत का जमने लगा रंग, क्या चुनाव में बीजेपी की इस कमी का फायदा उठा पाएगी कांग्रेस? जानिए कैसे

चौक टीम, जलौर। लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने में अब करीब एक महीना ही रह गया है। जालोर लोकसभा की ओर देखें तो यहां चुनावी मुकाबला काफी रोचक हो चला है। यहां दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है। चुनावी मुकाबला रोचक क्यों हुआ, इसके कई कारण हैं, जैसे भाजपा के सांसद देवजी पटेल का टिकट कटना, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का इस सीट से चुनाव लड़ना, कांग्रेस के बागी लाल सिंह राठौड़ का बसपा से ताल ठोकना और कांग्रेस के ही रामलाल मेघवाल का भाजपा ज्वॉइन करना।

बता दें इस सीट पर प्रवासी राजस्थानियों का भी काफी दखल रहता है और पिछले कुछ दिनों में वैभव गहलोत और लुम्बाराम चौधरी बैगलूरू, चैन्नई, हैदराबाद, मुंबई जैसे स्थानों पर जाकर प्रवासियों से मिल चुके हैं। यही कारण है कि जालोर लोकसभा सीट का जिक्र इन दिनों मीडिया में छाया हुआ है।

सबसे पहले भाजपा की बात करें तो जालोर से भाजपा लगातार चार बार से जीतती आ रही है, लेकिन इस बार भाजपा ने यहां वर्तमान सांसद देवजी पटेल का टिकट काट दिया और सिरोही में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रहे लुम्बाराम चौधरी को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। बताया जा रहा है कि भाजपा के देवजी पटेल को जालोर की जनता ने 15 साल तक पूरा मौका दिया, लेकिन उन्होंने कोई खास काम नहीं कराया। इससे जनता में देवजी पटेल के खिलाफ भारी एंटी-इंकम्बेंसी है। भाजपा ने अपने कई दौर के सर्वेक्षणों में इसे भांप लिया और उनका टिकट काट दिया गया।

पार्टी के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि भले ही भाजपा ने चेहरा बदल दिया है, लेकिन जीत की राह इतनी आसान नहीं है। भाजपा में एकजुटता नहीं है और टिकट न मिलने वाले दावेदारों में परस्पर बड़ी नाराजगी है। जनता भी भाजपा सांसद के कार्यकालों में विकास कार्य न हो पाने से नाराज है। हालांकि लुम्बाराम अपनी तरफ से पुरजोर कोशिश लगाते नजर आ रहे हैं।

वहीं, कांग्रेस की बात करें तो पार्टी की ओर से यह टिकट पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को दिया गया है। पिता के बड़े नाम और लगातार सक्रियता के कारण वैभव गहलोत यहां अच्छी चुनौती देते नजर आ रहे हैं। वे स्थानीय समस्याओं पर बात कर रहे हैं, उनके समाधान का आश्वासन भी दे रहे हैं। वैभव पिछली कांग्रेस सरकार में अपने पिता अशोक गहलोत द्वारा कराए गए जनकल्याणकारी कार्यों का भी वास्ता भी दे रहे हैं। वैभव जिस तरह की सक्रियता दिखा रहे हैं, उससे वे आम लोगों से कनेक्टिविटी बनाते नजर आ रहे हैं। लोगों में भी उनके नाम को लेकर उत्साह है।

लोकसभा चुनावों के दौरान जालोर में कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ने से जरूर कांग्रेस का पक्ष कमजोर हुआ है। रामलाल मेघवाल के भाजपा ज्वॉइन करने और लाल सिंह के बसपा से प्रत्याशी के रूप में उतरने से वैभव गहलोत के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। हालांकि लोगों का मानना है कि लाल सिंह राठौड़ भले ही बसपा से टिकट ले आए हों, और रामलाल भाजपा में शामिल हो गए हों, लेकिन इसका अधिक असर कांग्रेस पर नहीं पड़ेगा और इस चुनाव में भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर नजर आएगी।

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